
Up Kiran, Digital Desk: पूरी दुनिया जहां ग्लोबल वार्मिंग यानी धरती के बढ़ते तापमान से जूझ रही है, वहीं उत्तरी अमेरिका और यूरोप के कुछ हिस्सों पर एक बिल्कुल अलग तरह का खतरा मंडरा रहा है – भयंकर और जानलेवा ठंड का। वैज्ञानिकों ने चेतावनी जारी की है कि आर्कटिक यानी उत्तरी ध्रुव के ऊपर घूमने वाली ठंडी हवाओं का विशाल बवंडर, जिसे 'पोलर वोर्टेक्स' (Polar Vortex) कहा जाता है, कमजोर होकर टूट सकता है। अगर ऐसा हुआ, तो मार्च के महीने में इन इलाकों में रिकॉर्ड तोड़ ठंड पड़ सकती है।
यह ठंड इतनी खतरनाक हो सकती है कि आम जन-जीवन पूरी तरह ठप पड़ सकता है। इसे एक तरह की 'सफेद तबाही' कहा जा रहा है, जिससे बचने के लिए प्रभावित देशों को फौरन तैयारियां शुरू करने की सलाह दी गई है।
क्या है ये पोलर वोर्टेक्स?
आसान भाषा में समझें तो आर्कटिक के ऊपर, वायुमंडल में बहुत ठंडी हवा का एक बहुत बड़ा गोला घूमता रहता है। इसे ही पोलर वोर्टेक्स कहते हैं। सर्दियों में यह मजबूत होता है और ठंडी हवा को ध्रुवों के पास ही कैद रखता है। लेकिन जब यह किसी कारण से अस्थिर होकर कमजोर पड़ता है या टूट जाता है, तो इसकी बर्फीली हवा का एक बड़ा हिस्सा नीचे की तरफ, यानी दक्षिण की ओर खिसक जाता है। इससे अमेरिका, कनाडा और यूरोप जैसे इलाकों में अचानक तापमान बहुत ज्यादा गिर जाता है, बर्फीले तूफान आते हैं और जानलेवा ठंड पड़ने लगती है।
मार्च में टूटने का खतरा क्यों?
मौसम वैज्ञानिकों को डर है कि मार्च के महीने में यह पोलर वोर्टेक्स टूट सकता है। उनका अनुमान है कि इससे उत्तरी अमेरिका और यूरोप के कई हिस्सों में तापमान इतना नीचे गिर सकता है, जितना पहले कभी नहीं गिरा। चिंता की बात इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि फरवरी में भी पोलर वोर्टेक्स के कमजोर पड़ने से कई जगहों पर भयानक ठंड और भारी बर्फबारी ने कहर बरपाया था। वैज्ञानिकों का कहना है कि मार्च में आने वाली ठंड फरवरी से भी ज्यादा खतरनाक हो सकती है।
मौसम की जानकारी देने वाली प्रसिद्ध संस्था एक्कुवेदर (AccuWeather) के वैज्ञानिक पॉल पास्टेलोक ने बताया है कि इस बार पोलर वोर्टेक्स असामान्य तरीके से खिंच रहा है और अपना आकार बदल रहा है। इसका असर खासकर यूरोप और पूर्वी कनाडा की तरफ ज्यादा हो सकता है।
जेट स्ट्रीम पर असर और 'सफेद तबाही'
पोलर वोर्टेक्स का टूटना सीधे तौर पर जेट स्ट्रीम को प्रभावित करता है। जेट स्ट्रीम हवा की एक तेज नदी है जो ऊपरी वायुमंडल में बहती है और आमतौर पर ठंडी हवा को ऊपर ही रोके रखती है। जब पोलर वोर्टेक्स कमजोर होता है, तो जेट स्ट्रीम भी लहरदार और अस्थिर हो जाती है, और ठंडी हवा को अमेरिका, कनाडा, यूके जैसे देशों में नीचे आने का रास्ता मिल जाता है। इसी वजह से अचानक तापमान गिरता है और बर्फीले तूफान आते हैं।
फरवरी में जब ऐसा हुआ था, तो अमेरिका और कनाडा में रिकॉर्ड तोड़ ठंड पड़ी थी, स्कूल-दफ्तर बंद हो गए थे और यातायात ठप हो गया था। अगर मार्च में फिर ऐसा हुआ, तो हालात और बिगड़ सकते हैं।
ग्लोबल वार्मिंग के बीच इतनी ठंड क्यों?
यह सवाल हैरान करता है कि जब दुनिया गर्म हो रही है, तो इतनी भीषण ठंड क्यों पड़ रही है? कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन (Climate Change) जेट स्ट्रीम के सामान्य रास्ते और व्यवहार को बदल रहा है। इसी वजह से मौसम का मिजाज बिगड़ रहा है और कभी भीषण गर्मी तो कभी ऐसी जानलेवा ठंड जैसी चरम मौसमी घटनाएं (Extreme Weather Events) बढ़ रही हैं।
अमेरिकी मौसम एजेंसी NOAA के मुताबिक भी इस साल पोलर वोर्टेक्स काफी मजबूत रहा है, लेकिन इसका बार-बार कमजोर पड़ना और आकार बदलना चिंता की बात है। यह मौसम को और भी अप्रत्याशित बना रहा है और मार्च में ठंड के एक और खतरनाक दौर का खतरा पैदा कर रहा है।
खासतौर पर पूर्वी कनाडा, अमेरिका के मिडवेस्ट और नॉर्थईस्ट इलाके और यूरोप के कुछ हिस्सों में भारी बर्फबारी और कड़ाके की ठंड की आशंका है। इन इलाकों के लोगों को सलाह दी गई है कि वे सतर्क रहें और ठंड से बचाव के लिए गर्म कपड़े, हीटर और जरूरी सामान पहले से तैयार रखें।
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