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rich village: कई किसान कृषि के पूरक के रूप में पशुपालन और डेयरी फार्मिंग की ओर रुख करते हैं। बिहार के शिवहर जिले के देकुली के धरमपुर गांव के किसान भी इसी रास्ते पर चले। यह गांव दूध उत्पादन में शिवहर जिले में सबसे आगे है। दूध के कारोबार ने इस गांव की तस्वीर बदल दी है। इस गांव में पशुपालकों की संख्या काफी हद तक बढ़ गई है। इस व्यवसाय में अधिकतर महिलाएं शामिल हैं। कुछ साल पहले देकुली धरमपुर गांव के ज्यादातर घर कच्चे थे। मगर अब वहां पक्के मकान बन गये हैं। गांव के लोगों को रोजगार की तलाश में बाहर जाने की जरूरत महसूस नहीं होती।

दुग्ध उत्पादन से लोगों को अच्छी आमदनी होने लगी है। इससे घर-परिवार को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने और बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने की व्यवस्था बनाई गई है। शुरुआत में इस गांव में करीब 150 चरवाहे थे, मगर अब इनकी संख्या 500 से ज्यादा हो गई है। इस पेशे में महिलाएं आगे आ रही हैं। यह गांव प्रतिदिन 14600 लीटर दूध का उत्पादन करता है। गांव के दूध उत्पादक किसान दिन में दो बार केंद्र पर 8300 लीटर दूध जमा करते हैं। औसतन एक उत्पादक प्रतिदिन 25 से 30 लीटर दूध केंद्र पर लाता है। ये प्रति माह 15 हजार कमा लेती है।

गांव में 15 किसान ऐसे भी हैं जिनके पास 12 से 15 जानवर हैं। वे किसान प्रति माह 1 लाख रुपये भी कमा लेते हैं। दूध बेचकर 50 हजार मासिक कमाने वाले किसानों की संख्या 31 है। कुछ किसानों के पास 1 से 6 मवेशी हैं। गांव की प्रगति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिले के तिमुल के दो शीत गृहों में से एक इस गांव में है।

पहले गांव के लोगों के लिए पेट भरने का एकमात्र जरिया दैनिक मजदूरी ही थी। ज्यादातर लोग बड़े शहरों में काम करने जाते हैं। मगर अब वे गांव में डेयरी व्यवसाय से अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं। बच्चों की पढ़ाई, उनकी शादी, रहने के लिए पक्का घर, सब कुछ डेयरी व्यवसाय के कारण ही गाँव के लोगों के लिए संभव हो सका। कई किसान अपनी कमाई से जमीन खरीद रहे हैं। गांव की शांति देवी नामक महिला अपने डेयरी व्यवसाय से बच्चों को अच्छी शिक्षा दे रही है। संजय यादव, किशोर राय जैसे ग्रामीणों की जिंदगी बदल गयी है। रामकृपाल राय खुद पशुपालन करते हैं और दूसरों को भी इसका प्रशिक्षण देते हैं।

देकुली धरमपुर के रहने वाले लालूगिरी कहते हैं कि गांव में तीन तरह के किसान हैं। जो तिमुल संस्था को दूध देता है। दूसरे वे जो होटलों और चाय की दुकानों के मालिकों को दूध बेचते हैं और तीसरे वे जो स्थानीय लोगों को दूध बेचते हैं। इस क्षेत्र में भुवनेश्वर नाथ मंदिर है इसलिए दूध की खपत अधिक है। मगर देकुली धरमपुर के किसान काफी मेहनती हैं। तिमुल के कर्मचारी राजाबाबू ने बताया कि तिमुल ने इस गांव में दूध संग्रहण की मात्रा को देखते हुए यहां 5000 लीटर क्षमता का दूध संग्रहण कोल्ड स्टोर खोला है। शिवहर जिले में 200 से अधिक दूध संग्रहण केंद्र हैं। इसके 5 हजार लीटर दूध की क्षमता वाले 2 केंद्र हैं, जिनमें से एक देकुली धरमपुर गांव है।

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