_1676256491.png)
Up Kiran , Digital Desk: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में गति का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीते एक साल के भीतर करीब 20 पैदल राहगीर सड़कों पर तेज रफ्तार वाहनों की चपेट में आकर जान गंवा चुके हैं। इन घटनाओं ने यह साफ कर दिया है कि ट्रैफिक नियमों का पालन न करना और पैदल यात्रियों की उपेक्षा किस कदर घातक साबित हो सकती है।
हादसों की क्रूर सच्चाई: ज़मीन पर बिखरे सपने
इन दुर्घटनाओं में कई दर्दनाक मामले सामने आए हैं जहां लोग त्योहार मनाने काम पर जाने या सामान्य चहलकदमी के दौरान सड़कों पर कुचले गए। कुछ घटनाएं तो ऐसी थीं जिनमें पीड़ितों को मौत आने से पहले अस्पताल में लंबी जंग लड़नी पड़ी।
हादसा 1: होली से एक दिन पहले 4 मजदूरों की मौत
12 मार्च 2025 राजपुर रोड — चार मजदूर जो होली के लिए एडवांस लेकर घर लौट रहे थे उन्हें एक लग्जरी कार ने टक्कर मार दी। टक्कर इतनी तेज थी कि कुछ मजदूर 50 मीटर दूर जा गिरे। सभी की मौके पर ही मौत हो गई जबकि दो अन्य घायल हो गए।
हादसा 2: बुजुर्ग की जान ली तेज रफ्तार ने
23 अप्रैल 2025 मालदेवता — एक बुजुर्ग जब सड़क पार कर रहे थे तब एक नशे में धुत वाहन चालक ने उन्हें टक्कर मार दी। एक दिन के इलाज के बाद उन्होंने दम तोड़ दिया।
हादसा 3: पटेलनगर में दो पैदल यात्रियों पर कहर
11 फरवरी 2025 पटेलनगर — एक तेज रफ्तार वाहन ने दो पैदल राहगीरों को टक्कर मारी। इनमें से एक की मौके पर ही मौत हो गई जबकि दूसरा कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहा। आरोपी चालक को बाद में गिरफ्तार कर लिया गया।
शाम के बाद हादसों की संख्या बढ़ जाती है
आंकड़ों और ट्रैफिक पुलिस की जानकारी के अनुसार ज्यादातर सड़क हादसे सूर्यास्त के बाद होते हैं। कम रोशनी सड़कों पर कम ट्रैफिक और तेज रफ्तार में लापरवाही — ये तीन कारक पैदल यात्रियों के लिए जानलेवा बन जाते हैं। कई चालक रात में हेडलाइट का भी इस्तेमाल नहीं करते जिससे दुर्घटनाएं और अधिक बढ़ जाती हैं।
पैदल यात्रियों के लिए सिग्नल तो हैं पर जागरूकता नहीं
देहरादून को स्मार्ट सिटी बनाने की दिशा में बीते वर्षों में 49 से ज्यादा प्रमुख चौराहों पर पेडेस्ट्रियन सिग्नल लगाए गए हैं। ये सिग्नल वाहन रुकने पर पैदल यात्रियों को जेब्रा क्रॉसिंग से सड़क पार करने की अनुमति देते हैं।
हालांकि जनजागरूकता की कमी के चलते अधिकतर लोग इन सिग्नलों का सही उपयोग नहीं कर पाते। कई बार वाहन चालक भी रेड लाइट पर नहीं रुकते जिससे पैदल यात्रियों की जान खतरे में पड़ जाती है।
--Advertisement--