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Up Kiran, Digital Desk: सोमवार की रात बिहार के कई इलाकों के लिए किसी डरावने सपने से कम नहीं रही। रात 11 बजे के बाद जैसे ही आसमान में बादल गरजे, मौसम ने एकाएक करवट ली और देखते ही देखते तेज़ आंधी, मूसलधार बारिश और आकाशीय बिजली ने कहर बरपा दिया। खासकर पटना और इसके आसपास के इलाकों में हालात बेकाबू हो गए।

राघोपुर की घटना ने झकझोर कर रख दिया।

पटना जिले के बाढ़ अनुमंडल के बख्तियारपुर दियारा इलाके में राघोपुर गांव में सोमवार रात रामानंद राय कुछ अन्य ग्रामीणों के साथ खेत में गेहूं की दौनी (अनाज की सफाई) कर रहे थे। मौसम साफ था, लेकिन अचानक आई तेज़ आंधी और बारिश ने सबको हैरान कर दिया। बचाव के लिए सभी लोग पास खड़े ट्रैक्टर की ट्रॉली के नीचे जा छिपे।

लेकिन किसे पता था कि यही फैसला उनकी जान का दुश्मन बन जाएगा। कुछ ही मिनटों में तेज़ गर्जना के साथ बिजली गिरी और उसी ट्रैक्टर के पास मौजूद रामानंद राय, सुबोध प्रसाद और किशोर रितेश कुमार की मौके पर ही मौत हो गई।

चार अन्य लोग भी इस हादसे में गंभीर रूप से झुलस गए हैं, जिन्हें आनन-फानन में बख्तियारपुर पीएचसी में भर्ती कराया गया। उनकी हालत नाजुक बनी हुई है और डॉक्टर लगातार निगरानी कर रहे हैं।

वज्रपात बनता जा रहा है बिहार के ग्रामीण इलाकों का नया खतरा

बिहार में आकाशीय बिजली से होने वाली मौतें अब साल दर साल बढ़ती जा रही हैं। मानसून या प्री-मानसून सीज़न में ऐसी घटनाएं आम होती जा रही हैं, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण ये है कि लोगों को आज भी इससे बचाव के सही तरीके नहीं मालूम।

ग्रामीण इलाकों में खेतों में काम करते वक़्त लोग पेड़ या ट्रैक्टर की छांव में शरण ले लेते हैं, जो कि वज्रपात के दौरान बेहद खतरनाक साबित होता है। यही गलती राघोपुर के खेत में भी हुई।

प्रशासन पर उठते सवाल

स्थानीय लोगों ने इस हादसे के बाद प्रशासन से पीड़ित परिवारों को मुआवज़ा देने की मांग की है। पुलिस और स्थानीय प्रशासन मौके पर पहुंच गया है और राहत कार्य शुरू कर दिए गए हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या हादसे के बाद ही जागना हमारी व्यवस्था की आदत बन चुकी है?

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