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Up Kiran, Digital Desk: एक आम-सी लगने वाली मगर असामान्य घटना ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है। मामला है किराएदार और मकान मालिक के बीच हुए एक 'अनौपचारिक समझौते' का, जिसने इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) को लेकर नैतिकता और कानून के दायरे पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

ITR फाइल करने की अहमियत

सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि ITR (इनकम टैक्स रिटर्न) आखिर होता क्या है और इसे फाइल करना क्यों जरूरी है। दरअसल, ITR के माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपनी सालाना कमाई और उस पर चुकाए गए टैक्स की जानकारी सरकार को देता है। यह दस्तावेज़ लोन, वीजा अप्लिकेशन और टैक्स रिफंड जैसी प्रक्रियाओं के लिए अनिवार्य माना जाता है।

मकान मालिक की 'कृपा' या टैक्स चोरी?

रेडिट (Reddit) पर वायरल हुई एक पोस्ट में एक यूजर ने अपनी उलझन साझा की। उसने लिखा कि उसके मकान मालिक ने ITR फाइलिंग के वक्त किराए की असल रकम से कम आंकड़ा लिखने को कहा है। असली किराया ₹14,000 प्रति माह है, लेकिन मकान मालिक चाहता है कि सिर्फ ₹12,800 ही दर्ज किए जाएं।

मकान मालिक का तर्क है कि बाकी ₹1,200 तो ‘मेंटेनेंस’ के नाम पर लिए जाते हैं, जबकि रेंट एग्रीमेंट में कहीं भी मेंटेनेंस का अलग जिक्र नहीं है। यानी पूरे ₹14,000 को ही किराया माना गया है।

उलझन में किराएदार: "ITR में कम रेंट दिखाया तो कोई दिक्कत तो नहीं आएगी?"

इस यूजर ने Reddit पर यह सवाल भी उठाया कि अगर वह ITR में मकान मालिक की बताई गई रकम दिखाता है, तो क्या भविष्य में कोई कानूनी अड़चन आएगी? क्या टैक्स वेरिफिकेशन के वक्त इससे कोई समस्या खड़ी हो सकती है?

इस सवाल ने कई लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया और कमेंट सेक्शन में सलाहों की बाढ़ आ गई।

सोशल मीडिया की जनता ने क्या कहा?

एक यूजर ने सुझाव दिया: “मकान मालिक से कह दो कि ITR पहले ही फाइल हो चुका है, और वो भी रेंट एग्रीमेंट और बैंक स्टेटमेंट के आधार पर। अगर HRA क्लेम नहीं कर रहे हो तो चिंता की बात नहीं, लेकिन अगर कर रहे हो, तो दस्तावेज़ों में जो है, वही दिखाओ।”

एक अन्य कमेंट में लिखा गया कि मकान मालिक मेंटेनेंस के नाम पर जो राशि ले रहा है, उसका अलग से जिक्र जरूरी होता है। वैसे भी, टैक्स नियमों के अनुसार मकान मालिक को किराए की आय पर 30% की स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलती है। इसलिए उन्हें झूठा आंकड़ा देने की जरूरत नहीं होनी चाहिए।

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