img

दिल्ली पुलिस ने शहर भर में लाउडस्पीकर और सार्वजनिक संबोधन प्रणालियों के इस्तेमाल को लेकर सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ये उत्तर प्रदेश में हाल ही में उठाए गए कदमों के समान है। नए नियमों का मकसद ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करना और ये सुनिश्चित करना है कि ध्वनि का स्तर निर्धारित सीमाओं के भीतर रहे, खासकर आवासीय और शांत क्षेत्रों में।

आदेश के मुताबिक, धार्मिक स्थलों पर तय मात्रा से अधिक लाउडस्पीकर का उपयोग नहीं किया जा सकता है और सार्वजनिक समारोहों, धार्मिक आयोजनों और रैलियों सहित किसी भी स्थान पर लाउडस्पीकर लगाने या चलाने के लिए पुलिस से पूर्व अनुमति लेना जरूरी है।

टेंट हाउस से किराए पर लिए गए लाउडस्पीकर भी इसी नियम के अंतर्गत आते हैं। आपूर्तिकर्ताओं को ये सत्यापित करना जरूरी है कि उपयोगकर्ताओं के पास पुलिस की लिखित स्वीकृति है। जिला पुलिस उपायुक्तों (डीसीपी) को अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं और इन नियमों का उल्लंघन करने वाले विक्रेताओं के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी। निमय तोड़ने वाले पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है।

जानें निर्धारित शोर सीमा कितनी

सार्वजनिक स्थान: पुलिस की पूर्व अनुमति के बिना लाउडस्पीकर या सार्वजनिक संबोधन प्रणाली का उपयोग सख्त वर्जित है।
सार्वजनिक स्थानों पर ध्वनि का स्तर: परिवेशीय शोर स्तर से 10 डेसिबल (dB(A)) से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
निजी स्वामित्व वाली ध्वनि प्रणालियां: परिवेश स्तर से 5 डेसिबल ऊपर तक सीमित।
क्षेत्रवार शोर सीमा (सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक / रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक)