Indian Culture: हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के नाम से जाना जाता है। यहां देवी-देवताओं की खुशबू आती है। कांगड़ा, शिमला, मंडी, बिलासपुर समेत कई जिले ऐसे हैं जहां कहीं न कहीं कोई प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। हर साल लाखों भक्त मंदिर में दर्शन करने आते हैं। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में देववाद व्यापक है। इस परंपरा का पालन करते हुए, मंदिर का प्रवेश द्वार मंगलवार को मकर संक्रांति से शुरू होकर 9 दिनों के लिए बंद रहता है। इसके साथ ही शोर मचाना भी प्रतिबंधित है।
कुल्लू जिले में स्थित पर्यटन नगरी मनाली देश का वह हिस्सा है जहां लोग आज भी अपनी प्राचीन संस्कृति को संजोए हुए हैं। यहां के ग्रामीण अगले 42 दिनों तक न तो टीवी चलाएंगे और न ही मंदिर में पूजा करेंगे। गौरतलब है कि इस दौरान ग्रामीणों के मोबाइल फोन भी साइलेंट मोड पर रहेंगे और किसी की रिंगटोन भी नहीं सुनाई देगी। यह बात सुनकर आपको अजीब लग सकता है, लेकिन ये सच है। ये प्रथा देवी-देवताओं के आदेश पर 42 दिनों तक मनाई जाती है। गांव के लोग हर साल बिना चूके इस परंपरा का पालन करते हैं।
हजारों सालों से चली आ रही ये प्रथा
मनाली के गांवों के साथ-साथ गौशाल क्षेत्र के 8 गांवों में भी ईश्वरीय आदेश जारी हुआ है। यहां टीवी, मोबाइल फोन और मंदिर की घंटियां बजाने पर प्रतिबंध है। उजी घाटी के 9 गांवों में देवताओं की पूजा की यह परंपरा हजारों वर्षों से चलती आ रही है। 42 इन गांवों में कोई भी ग्रामीण एक-दूसरे से ऊंची आवाज में बात नहीं करेगा। मंदिर में पूजा-अर्चना नहीं होगी। मंदिर की घंटी बांधकर रखी जाती है। ग्रामीणों के अनुसार ये दिव्य आदेश आराध्य देव गौतम ऋषि, ब्यास ऋषि और नागदेवता द्वारा जारी किए जाते हैं।
मकर संक्रांति के बाद देवी-देवता अपनी तपस्या में लीन हो जाते हैं और उन्हें शांतिपूर्ण वातावरण की आवश्यकता होती है। इसलिए, गांव वाले टीवी, रेडियो और मोबाइल फोन समेत सब कुछ बंद कर देते हैं। ये दिव्य आदेश मनाली के गौशाल, कोठी सोलंग, पलचान, रुआद, कुलंग, शनाग, बुरुआ और मजाच में मौजूद हैं। आज की युवा पीढ़ी भी वर्षों से चली आ रही इस परंपरा का पालन करती है। यहां आने वाले पर्यटकों को भी इस प्रथा का पालन करना पड़ता है। मनाली के सिमसा स्थित कार्तिक स्वामी मंदिर के कपाट 14 जनवरी से 12 फरवरी तक बंद रहेंगे।
--Advertisement--