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Up Kiran, Digital Desk: देश के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित कारोबारी घराने, टाटा समूह, में एक बार फिर अंदरूनी कलह सतह पर आ गई है. इस बार विवाद टाटा ट्रस्ट्स को लेकर है, जो टाटा समूह की मुख्य होल्डिंग कंपनी टाटा संस में लगभग 66% हिस्सेदारी रखती है. इसी हिस्सेदारी के दम पर ट्रस्ट, पूरे समूह के फैसलों पर निर्णायक प्रभाव डालता है.

मामला इतना गंभीर हो गया है कि टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन नोएल टाटा और टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन को हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मिलना पड़ा.

आखिर क्या है इस झगड़े की जड़: यह पूरा विवाद टाटा ट्रस्ट्स के बोर्ड में नियुक्तियों और कामकाज के तरीकों को लेकर है. ट्रस्ट के सदस्य दो गुटों में बंट गए हैं, जिससे 180 अरब डॉलर से भी ज्यादा के इस विशाल कारोबारी साम्राज्य के कामकाज पर असर पड़ने का खतरा मंडराने लगा है.

कौन हैं आमने-सामने?विवाद के केंद्र में दो खेमे हैं:

पहला गुट: इसका नेतृत्व नोएल टाटा कर रहे हैं, जिन्हें रतन टाटा के निधन के बाद ट्रस्ट का चेयरमैन बनाया गया था. उनके साथ टीवीएस ग्रुप के वेणु श्रीनिवासन हैं.

दूसरा गुट: इसका नेतृत्व मेहली मिस्त्री कर रहे हैं, जिनके शापूरजी पालोनजी परिवार से भी संबंध हैं. इस गुट में उनके अलावा तीन और ट्रस्टी- प्रमित झावेरी, जहांगीर एचसी जहांगीर और डेरियस खंबाटा शामिल हैं. मिस्त्री खेमे को लगता है कि उन्हें अहम फैसलों से दूर रखा जा रहा है.

कैसे शुरू हुआ यह विवाद: इस झगड़े की शुरुआत 11 सितंबर को हुई टाटा ट्रस्ट्स की एक बैठक से हुई. इस बैठक में पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह को टाटा संस के बोर्ड में फिर से नॉमिनी डायरेक्टर के तौर पर नियुक्त करने का प्रस्ताव रखा गया था.

मीटिंग में क्या हुआ?ट्रस्ट के चेयरमैन नोएल टाटा और वेणु श्रीनिवासन ने 77 वर्षीय विजय सिंह की पुनर्नियुक्ति का प्रस्ताव रखा.

लेकिन, दूसरे खेमे के चार ट्रस्टियों - मेहली मिस्त्री, प्रमित झावेरी, जहांगीर एचसी जहांगीर और डेरियस खंबाटा - ने इसका कड़ा विरोध किया.

चार सदस्यों के विरोध के कारण यह प्रस्ताव खारिज हो गया.

बात यहीं खत्म नहीं हुई: इस प्रस्ताव के खारिज होने के बाद, मिस्त्री खेमे के चारों ट्रस्टियों ने मेहली मिस्त्री को टाटा संस के बोर्ड में नॉमिनेट करने की मांग कर डाली. लेकिन इस बार नोएल टाटा और वेणु श्रीनिवासन ने इसका विरोध किया और कहा कि नियुक्ति एक पारदर्शी प्रक्रिया के तहत टाटा के मूल्यों के अनुसार होनी चाहिए. इस पूरे विवाद के बाद विजय सिंह ने खुद ही टाटा संंस के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया.

समूह के भीतर कुछ लोगों का मानना है कि मेहली मिस्त्री के नेतृत्व वाला गुट टाटा ट्रस्ट्स में नोएल टाटा के नेतृत्व को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है, जिससे समूह के शीर्ष पर एक बड़ा सत्ता संघर्ष छिड़ गया है