
Up Kiran, Digital Desk: आम करदाताओं के लिए अच्छी खबर है! वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में नया आयकर विधेयक, 2025 पेश किया। यह विधेयक आयकर अधिनियम, 1961 का स्थान लेगा, जो दशकों से भारतीय कर प्रणाली का आधार रहा है। यह कदम कर प्रक्रियाओं को सरल बनाने और कर प्रबंधन की पुरानी चुनौतियों का समाधान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली 31-सदस्यीय चयन समिति द्वारा किए गए संशोधनों को नए विधेयक में शामिल किया जाएगा।
पुराने कानून का 'अंत', नई शुरुआत: क्यों पड़ी नए बिल की जरूरत?
मौजूदा आयकर अधिनियम, 1961 काफी पुराना हो चुका है और इसमें 4000 से अधिक बार संशोधन किए गए हैं। इस वजह से, यह जटिल, गूढ़ और समझने में मुश्किल हो गया था, जिससे करदाताओं और कर अधिकारियों दोनों के लिए इसका पालन करना एक चुनौती बन गया था। नए विधेयक का एक मुख्य लक्ष्य प्रक्रियाओं को सरल बनाना और पारदर्शिता लाना है। यह उम्मीद है कि नए विधेयक की स्पष्ट और सुलभ कानूनी भाषा आम जनता के लिए कर नियमों को समझना आसान बना देगी।
टैक्सपेयर्स के लिए खास प्रावधान: दान, रिफंड और अधिकारियों के अधिकार
नए ड्राफ्ट में 285 सिफारिशों को शामिल किए जाने की उम्मीद है, जिनमें से कुछ प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं:
गुमनाम दान पर सीमा: अब केवल पूरी तरह से धार्मिक ट्रस्टों को ही गुमनाम दान स्वीकार करने की अनुमति होगी, जबकि वे ट्रस्ट जो सामाजिक सेवाएं भी चलाते हैं, उन्हें इस श्रेणी से बाहर रखा जाएगा। यह दान की पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा।
टीडीएस रिफंड बिना पेनल्टी: करदाताओं को अब आईटीआर (ITR) फाइलिंग की समय सीमा के बाद भी बिना किसी जुर्माने के टीडीएस (TDS) रिफंड का दावा करने की अनुमति होगी। यह उन करदाताओं को राहत देगा जो समय पर अपना रिटर्न फाइल नहीं कर पाते।
कर अधिकारियों के लिए नई प्रक्रिया: विधेयक में यह भी प्रावधान किया गया है कि कर अधिकारियों को कोई भी नोटिस जारी करने से पहले और कोई कार्रवाई करने से पहले करदाता के जवाबों पर विचार करना होगा। यह करदाताओं के अधिकारों की रक्षा करेगा और मनमानी कार्रवाई को रोकेगा।
डिजिटल इंडिया का असर: फेसलेस असेसमेंट और सरलीकृत अनुपालन
नए विधेयक का एक और महत्वपूर्ण पहलू डिजिटल-फर्स्ट, फेसलेस असेसमेंट फ्रेमवर्क का आधुनिकीकरण है। इसका उद्देश्य अनुपालन को आसान बनाना और भ्रष्टाचार के जोखिमों को कम करना है। फेसलेस मूल्यांकन (faceless assessment) प्रणाली के तहत, करदाताओं को बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के अपनी कर संबंधी प्रक्रियाओं को पूरा करने की सुविधा मिलेगी, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी और संभावित भ्रष्टाचार को कम किया जा सकेगा। यह भारत को एक डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में सरकार के प्रयासों को भी मजबूत करेगा।
वित्त मंत्री का भरोसा: 'सरल, स्पष्ट और आधुनिक' कर प्रणाली
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस विधेयक को पेश करते हुए विश्वास जताया कि यह भारतीय कर प्रणाली को आधुनिक, सरल और अधिक करदाता-अनुकूल बनाएगा। उन्होंने जोर दिया कि सरकार का लक्ष्य एक ऐसी प्रणाली बनाना है जो व्यवसाय करने में आसानी को बढ़ावा दे और कर अनुपालन को सुगम बनाए। यह नया विधेयक 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' को बढ़ावा देने और 'ईज ऑफ लिविंग' को बेहतर बनाने की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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