Up Kiran, Digital Desk: बिहार में चुनावी मौसम फिर से गर्मा चुका है, और महागठबंधन ने अपनी चुनावी वादों का ऐलान कर दिया है। मंगलवार को पटना में राजद नेता और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने गठबंधन का घोषणापत्र 'बिहार का तेजस्वी प्रण' जारी किया। इस मौके पर वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी, कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा, और भाकपा (माले) के नेता दीपंकर भट्टाचार्य भी मंच पर मौजूद थे।
कांग्रेस और राहुल गांधी की अनुपस्थिति
घोषणापत्र के कवर पेज पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी की तस्वीर तो छप चुकी थी, लेकिन मंच पर उनकी गैरमौजूदगी ने सबका ध्यान खींच लिया। राहुल गांधी के बिहार से दो महीने से गायब होने के बाद उनके इस राजनीतिक मौन ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं में बेचैनी पैदा कर दी है। सवाल उठने लगे हैं—क्या राहुल गांधी नाराज हैं या फिर यह किसी रणनीति का हिस्सा है?
दो महीने से गायब राहुल गांधी: क्या है इसकी वजह?
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का बिहार से लंबे समय तक गायब रहना अब चर्चा का विषय बन चुका है। आखिरी बार वह 1 सितंबर को तेजस्वी यादव के साथ 'वोट अधिकार यात्रा' के समापन पर दिखे थे। उसके बाद से वह किसी भी चुनावी रैली, रोड शो या कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए हैं। इस बीच महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर खींचतान भी जारी रही, मगर राहुल गांधी की उपस्थिति कहीं नजर नहीं आई।
अशोक गहलोत को पटना भेजा गया, जो बिहार के नेताओं से मुलाकात कर विवादों को सुलझाने में जुटे रहे। इसके बाद तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया। यह घटनाक्रम इस बात का संकेत देता है कि राहुल गांधी की अनुपस्थिति महज संयोग नहीं हो सकती।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बेचैनी और चिंता
कांग्रेस पार्टी के भीतर राहुल गांधी की अनुपस्थिति पर चिंता बढ़ने लगी है। टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के मुताबिक, पार्टी के वरिष्ठ नेता ने माना, "वोट अधिकार यात्रा ने पार्टी में जोश भर दिया था, लेकिन अब राहुल जी की गैरमौजूदगी से वह जोश ठंडा पड़ने लगा है।" राहुल गांधी हाल ही में दिल्ली के ऐतिहासिक घंटेवाला मिठाई की दुकान में 'इमरती' बनाते हुए देखे गए थे, लेकिन बिहार के कार्यकर्ताओं के लिए यह मीठी तस्वीर उनके राजनीतिक खालीपन को नहीं भर पाई।
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