_604696809.png)
Up Kiran, Digital Desk: बिहार की सियासत इन दिनों तीखी बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप के दौर से गुजर रही है। इस बार राजद नेता और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का एक बयान राज्य के राजनीतिक गलियारे में हलचल मचाने का कारण बना है। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से 'जमाई आयोग' और 'जीजा आयोग' बनाने की मांग की, जिससे एनडीए खेमे में खलबली मच गई है।
चुनावी साल में बढ़ती बयानबाजी
चुनावी साल में बिहार की राजनीति में रिश्तों को लेकर जो बयानबाजी शुरू हुई है, वह अब एक गर्म मुद्दा बन चुकी है। तेजस्वी यादव ने हाल ही में आरोप लगाया कि बिहार में गठित कई आयोगों में केवल एनडीए नेताओं के परिवार के सदस्य ही मलाईदार पदों पर आसीन हैं। इस पर उनका कहना था, "नीतीश जी, अब तो 'जमाई आयोग' भी बना दीजिए ताकि सभी रिश्तेदारों का ख्याल रखा जा सके।" तेजस्वी का यह तंज सीधे तौर पर नीतीश कुमार और एनडीए के नेताओं को निशाना बना रहा था।
एनडीए का तगड़ा पलटवार
तेजस्वी यादव का यह बयान एनडीए में जैसे तूफान ले आया। एनडीए के वरिष्ठ नेता और बिहार के डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने इस पर पलटवार करते हुए तेजस्वी के आरोपों को हास्यास्पद बताया। मंत्री अशोक चौधरी ने भी तेजस्वी पर हमला बोलते हुए कहा कि जो खुद परिवारवाद के बड़े समर्थक रहे हैं, उन्हें दूसरों पर ऐसे आरोप लगाने का कोई हक नहीं है। चौधरी ने यह भी कहा कि जब किसी के पास मुद्दे नहीं होते, तो वह निजी हमलों पर उतर आते हैं।
चौधरी ने तेजस्वी को यह सलाह भी दी कि पहले वह अपने गिरेबान में झांकें और देखें कि उनका अपना परिवारवाद किस स्तर पर है।
तेजस्वी का विरोधियों की पोल खोलने का अभियान
तेजस्वी यादव ने अपनी चुप्पी तोड़ी और एक-एक करके एनडीए के नेताओं की पोल भी खोल दी। उन्होंने आरोप लगाया कि जीतन राम मांझी के दामाद देवेंद्र मांझी को अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग का सदस्य बनाया गया और चिराग पासवान के बहनोई मृणाल को भी महत्वपूर्ण आयोगों में स्थान दिया गया। इसके अलावा, तेजस्वी ने जेडीयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा की दोनों बेटियों को एक ही दिन सुप्रीम कोर्ट के ग्रुप A पैनल काउंसिल में नियुक्त किए जाने पर भी सवाल उठाए।
तेजस्वी का कहना था कि इस प्रकार के पदों पर परिवार के लोगों को बिठाकर एनडीए केवल परिवारवाद को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने इस मामले को लेकर बेशर्मी से काम करने का आरोप लगाया।
क्या बदलेगा वोटों का गणित?
चुनावी साल में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता चरम पर होती है और ऐसे में तेजस्वी यादव द्वारा परिवारवाद को लेकर उठाए गए सवालों का सीधा असर आगामी 2025 विधानसभा चुनाव पर पड़ सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी ने इस मुद्दे को बहुत चालाकी से उठाया है और इससे उन्हें एक राजनीतिक फायदा हो सकता है। बिहार में परिवारवाद की राजनीति का मुद्दा पहले भी सुर्खियों में रहा है, और अब यह एक बार फिर गहराई से चर्चा में है।
हालांकि, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि क्या तेजस्वी के द्वारा उठाया गया यह मुद्दा चुनाव परिणामों को प्रभावित कर पाएगा। पर इतना ज़रूर है कि एनडीए के नेता इस मुद्दे को लेकर अपनी स्थिति को लेकर असमंजस में हैं और उनके लिए यह एक कठिन चुनौती बन सकती है।
--Advertisement--