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Up Kiran, Digital Desk: तेलंगाना राज्य का गठन एक लंबे और कठिन संघर्ष का परिणाम था, जिसका मूल उद्देश्य यहां के लोगों की विशिष्ट आकांक्षाओं और पहचान को पूरा करना था। इन आकांक्षाओं में जल, धन और नौकरियां (नीलू, निधुलु, निमकालु) जैसे बुनियादी संसाधन शामिल थे, लेकिन यह केवल संसाधनों से परे जाकर आत्म-सम्मान, समावेशी विकास और एक न्यायपूर्ण शासन की स्थापना तक फैली हुई थीं। राज्य गठन के बाद के वर्षों में, यह सवाल हमेशा प्रासंगिक रहा है कि कौन सी राजनीतिक शक्ति इन गहरी जड़ों वाली आकांक्षाओं का सच्चा प्रतिनिधित्व कर सकती है।

लेखक का मत है कि वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में, खासकर हाल के चुनावों में सत्ता में आने के बाद, कांग्रेस पार्टी तेलंगाना की इन आकांक्षाओं का सच्चा संरक्षक बनने की ओर अग्रसर है। यह तर्क दिया जाता है कि राज्य गठन आंदोलन की भावना और इसके पीछे के आदर्शों को कांग्रेस अपने मौजूदा दृष्टिकोण और नीतियों के माध्यम से बेहतर ढंग से समझ और पूरा कर सकती है।

लेखक इस बात पर ज़ोर देता है कि तेलंगाना की आकांक्षाएं केवल कुछ योजनाओं या परियोजनाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इसमें शासन की शैली, पारदर्शिता, जवाबदेही और सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की भावना शामिल है। कांग्रेस सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदम, जैसे कि चुनावी वादों को पूरा करने का प्रयास और प्रशासन में सुधार की पहल, को इन व्यापक आकांक्षाओं की पूर्ति की दिशा में देखा जा रहा है।

यह विश्लेषण अक्सर पिछली सरकार के प्रदर्शन और उन पर लगे आरोपों की तुलना में किया जाता है कि उन्होंने राज्य गठन के मूल लक्ष्यों से विचलन किया। इसके विपरीत, कांग्रेस को उस राजनीतिक विरासत से जोड़ा जा रहा है जिसने कभी राज्य गठन के लिए अनुकूल माहौल बनाने में भूमिका निभाई थी।

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