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Up Kiran, Digital Desk: थाईलैंड और कंबोडिया के बीच लंबे समय से चला आ रहा सीमा विवाद अब सुलह की राह पर दिख रहा है। दोनों देशों के बीच तनाव कम करने और शांतिपूर्ण समाधान खोजने के मकसद से मलेशिया में अहम शांति वार्ताएं शुरू हो गई हैं। खास बात यह है कि इन वार्ताओं में अमेरिका भी अपनी मध्यस्थता (mediation) से मदद कर रहा है, जिससे उम्मीद की किरण और मजबूत हुई है।

क्या है यह विवाद? यह विवाद दोनों देशों के बीच सीमा के कुछ इलाकों और ऐतिहासिक प्रीह विहार मंदिर (Preah Vihear temple) के आसपास की ज़मीन को लेकर है। दशकों से इस मुद्दे पर कई बार झड़पें हुई हैं, जिससे दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं। यह सिर्फ दो देशों का मसला नहीं, बल्कि पूरे दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र की स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण है।

मलेशिया में क्यों हो रही है बात? मलेशिया, जो दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (ASEAN) का एक सक्रिय सदस्य है, उसने इस विवाद को सुलझाने में मध्यस्थ की भूमिका निभाने की पेशकश की है। मलेशिया का मानना है कि इस क्षेत्र में शांति और सहयोग बनाए रखने के लिए यह विवाद हल होना बेहद ज़रूरी है। उसकी तटस्थ स्थिति और क्षेत्रीय प्रभाव के कारण उसे यह ज़िम्मेदारी दी गई है।

अमेरिका की भूमिका इन वार्ताओं में अमेरिका की मध्यस्थता भी अहम है। अमेरिका इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने का समर्थक रहा है। उसकी भागीदारी से इन वार्ताओं को एक अंतरराष्ट्रीय महत्व मिलता है और उम्मीद है कि इससे एक निष्पक्ष और टिकाऊ समाधान निकालने में मदद मिलेगी। अमेरिका दोनों पक्षों को बातचीत की मेज पर लाने और उन्हें एक समझौते पर पहुंचने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।

आगे क्या? इन वार्ताओं का मुख्य लक्ष्य है कि दोनों देश अपने सीमा विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाएं, जिससे भविष्य में किसी भी तरह की झड़प या तनाव को रोका जा सके। यह देखना दिलचस्प होगा कि ये वार्ताएं कितनी सफल होती हैं और क्या वाकई इस पुराने विवाद का स्थायी समाधान निकल पाता है। सभी की निगाहें मलेशिया में हो रही इन महत्वपूर्ण बैठकों पर टिकी हैं, क्योंकि इनसे सिर्फ थाईलैंड और कंबोडिया ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र के भविष्य पर असर पड़ेगा।

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