Up Kiran, Digital Desk: तेलंगाना की धरती अपने अंदर न जाने कितने रहस्य और अनसुनी कहानियां समेटे हुए है। ऐसी ही एक अद्भुत और रहस्यमयी जगह है जहीराबाद शहर के पास बना मेटलकुंटा का लक्ष्मी नारायण स्वामी मंदिर। यह सिर्फ एक मंदिर नहीं है, बल्कि कला, इतिहास और पौराणिक कथाओं का एक ऐसा संगम है, जिसके बारे में सुनकर आप हैरान रह जाएंगे।
यहां की सबसे बड़ी और चौंकाने वाली मान्यता यह है कि इस विशाल मंदिर को किसी इंसान या देवता ने नहीं, बल्कि राक्षसों ने बनवाया था! और वो भी सिर्फ एक रात के अंदर।
क्या है इस अनोखे मंदिर की कहानी?
स्थानीय कहानियों के अनुसार, हजारों साल पहले, जब राक्षसों (असुरों) का राज था, तब उनमें से कुछ भगवान विष्णु के महान भक्त थे। वे अपने प्रभु के लिए एक ऐसा भव्य मंदिर बनाना चाहते थे, जैसा पूरी दुनिया में कहीं न हो। उन्होंने प्रण लिया कि वे सूर्योदय से पहले ही एक विशाल मंदिर का निर्माण कर देंगे।
कहा जाता है कि रात भर राक्षसों ने अपनी अद्भुत शक्तियों से पत्थरों को तराशा और एक भव्य मंदिर खड़ा कर दिया। मंदिर का ढांचा लगभग पूरा हो ही चुका था, लेकिन जैसे ही वे उस पर छत रखने वाले थे, सुबह हो गई और मुर्गों ने बांग दे दी। अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार, उन्होंने काम वहीं अधूरा छोड़ दिया। यही वजह है कि आज भी इस मंदिर के मुख्य गर्भ गृह के ऊपर कोई छत नहीं है।
मूर्तिकला का ऐसा खजाना जो कहीं और नहीं!
यह मंदिर सिर्फ अपनी कहानी की वजह से ही अनोखा नहीं है। यहां की मूर्तिकला इतनी अद्भुत और विस्तृत है कि इसे देखकर आज के बड़े-बड़े इंजीनियर और कलाकार भी दांतों तले उंगली दबा लेते हैं।
मंदिर के खंभों पर महाभारत, रामायण और भागवत के लगभग 2000 दृश्यों को बड़ी ही बारीकी से उकेरा गया है। एक ही जगह पर इतने सारे पौराणिक दृश्यों का होना इसे भारत का सबसे अनोखा मंदिर बनाता है।
यहां भगवान राम के पूरे जीवन को एक ही स्तंभ पर चित्रित किया गया है - उनके जन्म से लेकर, सीता विवाह, वनवास, रावण वध और फिर राज्याभिषेक तक।
सबसे खास बात यह है कि यहां नंदी की एक विशाल मूर्ति भी है, जो आमतौर पर सिर्फ शिव मंदिरों में देखी जाती है।
आज यह मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षण में है। इसके अधूरे काम और खुली छत को देखकर आज भी ऐसा लगता है, जैसे हजारों साल पुरानी वो रात यहीं थम सी गई है।
तो अगली बार जब भी आप तेलंगाना जाएं, तो इस गुमनाम खजाने को देखना न भूलें। यह जगह आपको बताएगी कि आस्था और कला की कोई सीमा नहीं होती, चाहे उसे बनाने वाले राक्षस हों या इंसान।
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