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राजस्थान के झालावाड़ जिले में हुए दर्दनाक स्कूल हादसे ने कई परिवारों की खुशियों को उजाड़ दिया। इस हादसे में जहां कई बच्चों की जान गई, वहीं एक मां ऐसी भी थी, जिसने अपने दोनों बेटों को एक साथ खो दिया। अब उसका आंगन सूना है, और आंखें हर पल नम।
मां की दहाड़ें सुनकर वहां मौजूद हर शख्स का दिल पसीज गया। वह बार-बार एक ही बात कह रही थी – "मेरे दो ही बच्चे थे... अब मेरे लिए जीने को कुछ नहीं बचा।" गांव के लोग भी इस क्षति से स्तब्ध हैं और पूरे इलाके में मातम पसरा हुआ है।
हादसा उस वक्त हुआ जब स्कूल से घर लौटते समय बच्चों से भरी बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई। हादसे में कई बच्चे घायल हुए, लेकिन कुछ की जिंदगी की डोर हमेशा के लिए टूट गई। उस मां के दोनों बेटे – जो रोज स्कूल से लौटकर आंगन में खेला करते थे – अब कभी नहीं लौटेंगे।
स्थानीय प्रशासन और शिक्षा विभाग ने जांच के आदेश दे दिए हैं, लेकिन जो परिवार इस हादसे का शिकार हुए हैं, उनके लिए यह दर्द जिंदगी भर साथ रहेगा।
यह हादसा न केवल एक मां की ममता को छीन ले गया, बल्कि यह सवाल भी खड़े करता है कि आखिर बच्चों की सुरक्षा को लेकर स्कूल प्रशासन और व्यवस्था कितनी सतर्क है?
इस घटना ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है और यह हादसा एक बार फिर सोचने पर मजबूर करता है – क्या हमारी व्यवस्था बच्चों की जान की कीमत समझती है?
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