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Up Kiran, Digital Desk: पूरा देश आज श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर को बड़े ही हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मना रहा है। इस शुभ अवसर पर, भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं। दोनों नेताओं ने श्री कृष्ण के जीवन और उनके उपदेशों को समाज को मजबूत बनाने और राष्ट्र निर्माण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया है।

राष्ट्रपति मुर्मू का संदेश: कर्तव्य पथ और सर्वजन हिताय

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर अपने संदेश में कहा, "जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं! भगवान श्री कृष्ण ने समस्त मानव जाति को सभी प्राणियों के कल्याण के प्रति समर्पित रहते हुए, धर्म के अनुसार कर्तव्य पथ का अनुसरण करने का मार्ग दिखाया है।" उन्होंने आगे कहा, "जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर, आइए हम सब मिलकर भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिखाए गए मार्ग का अनुसरण करने और समाज तथा राष्ट्र को मजबूत बनाने का संकल्प लें।" राष्ट्रपति का यह संदेश भगवान कृष्ण के कर्मयोग और लोक कल्याण के आदर्शों को आत्मसात करने की प्रेरणा देता है।

प्रधानमंत्री मोदी का संदेश: आस्था, उल्लास और नई ऊर्जा का पर्व

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देशवासियों को जन्माष्टमी की शुभकामनाएं देते हुए इस पर्व को आस्था, उल्लास और उत्साह का संगम बताया। उन्होंने 'X' पर लिखा, "सभी देशवासियों को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं। आस्था, उल्लास और उमंग का यह पावन पर्व आप सभी के जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार करे। जय श्री कृष्ण!" प्रधानमंत्री के शब्दों में इस पर्व की दिव्यता और यह जीवन में नई उमंग भरने की क्षमता स्पष्ट झलकती है।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी: भक्ति, प्रेम और न्याय की विजय का प्रतीक

श्री कृष्ण जन्माष्टमी, हिंदू धर्म के सबसे पूजनीय और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार न केवल एक धार्मिक अवसर है, बल्कि यह प्रेम, भक्ति, न्याय और सत्य की विजय का भी प्रतीक है।

इस पावन अवसर पर, भक्त भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं, मंदिरों में जाकर उनका आशीर्वाद लेते हैं, नए वस्त्र पहनते हैं, व्रत रखते हैं, घरों और पूजा स्थलों को सजाते हैं, और दूध से बनी मिठाइयां तैयार करते हैं। पूरे भारत के मंदिर फूलों और रंग-बिरंगी लाइटों से सज जाते हैं, और कई स्थानों पर भगवान कृष्ण के जन्म की कथाओं और 'रास-लीला' का आयोजन किया जाता है, जो भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देता है।

भगवान कृष्ण के उपदेश, जैसे कि भगवद गीता में वर्णित कर्मयोग, निष्काम कर्म, और सभी के प्रति समान भाव, आज भी मानव समाज के लिए प्रासंगिक हैं। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए संदेश इस बात पर जोर देते हैं कि इन सार्वभौमिक मूल्यों को अपनाकर हम न केवल अपने जीवन को समृद्ध बना सकते हैं, बल्कि एक मजबूत और न्यायपूर्ण समाज का निर्माण भी कर सकते हैं

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