Up Kiran, Digital Desk: बेंगलुरु, जिसे अकसर भारत की तकनीकी राजधानी कहा जाता है, अपनी तेज रफ्तार और आधुनिक जीवनशैली के लिए मशहूर है. लेकिन इस भागदौड़ भरी जिंदगी के नीचे छिपा है शहर का एक और बेहद खूबसूरत पहलू - यहाँ के प्राचीन मंदिर और उनका अनोखा 'प्रसाद'. ये मंदिर न सिर्फ आस्था के केंद्र हैं, बल्कि अपने खास प्रसाद के ज़रिए आपको स्वाद और भक्ति का एक अनोखा अनुभव भी देते हैं. आइए, बेंगलुरु के पाँच ऐसे मंदिरों और उनके खास प्रसाद के बारे में जानते हैं, जो आपकी यात्रा को और भी यादगार बना देंगे.
दोड्ड बसवन गुड़ी (Bull Temple)
बसावनगुड़ी में स्थित यह प्रसिद्ध मंदिर भगवान शिव के समर्पित बैल नंदी को समर्पित है. यहाँ आपको एक ही पत्थर से बनी विशाल नंदी की प्रतिमा देखने को मिलेगी. इस मंदिर का सबसे खास प्रसाद है, गुड़ और मूंगफली का एक मीठा-नमकीन मिश्रण, जो खासकर वार्षिक कडलेकाई परिषद् (मूंगफली महोत्सव) के दौरान चढ़ाया जाता है. यह प्रसाद किसानों की अच्छी फसल के लिए भगवान को धन्यवाद देने का एक तरीका भी है.
इस्कॉन मंदिर (ISKCON Temple)
राजनगर का यह शानदार इस्कॉन श्री राधा कृष्ण मंदिर अपनी भव्यता के लिए जाना जाता है. यहाँ भक्तों को भगवान के रूप में मीठा पोंगल (चक्करा पोंगल), हलवा और सुंदर (चना या दाल से बना व्यंजन) प्रसाद के तौर पर मिलता हैयह प्रसाद न सिर्फ स्वादिष्ट होता है, बल्कि मन को शांति भी देता है.
गावी गंगाधरेश्वर मंदिर (Gavi Gangadhareshwara Temple)
गावीपुरम में स्थित यह प्राचीन पत्थर से कटा हुआ गुफा मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. यह मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला के लिए मशहूर है, खासकर मकर संक्रांति के दौरान यहाँ सूर्य की किरणें सीधे शिवलिंग पर पड़ती हैं. भले ही इस मंदिर का कोई बहुत ही अनोखा या अलग से उल्लेख किया गया प्रसाद न हो, फिर भी यहाँ मिलने वाले पारंपरिक प्रसाद का अपना महत्व है, जो भगवान शिव के प्रति भक्तों की गहरी आस्था को दर्शाता है. यह अनुभव किसी चमत्कार से कम नहीं लगता.
बनशंकरी मंदिर (Banashankari Temple)
यह मंदिर देवी बनशंकरी अम्मा को समर्पित है और शहर के सबसे प्यारे मंदिरों में से एक है. यहाँ का प्रसाद है स्वादिष्ट 'पुलियोगारे' या इमली चावल यह दक्षिण भारतीय व्यंजन इमली के गूदे, करी पत्ते और भुनी हुई मूंगफली से बनाया जाता है, जिसका स्वाद हल्का मसालेदार और खट्टा होता है. मान्यता है कि यह नकारात्मक ऊर्जा और गंध को दूर करके इंद्रियों को संतुलित करता है मंगलवार और शुक्रवार को विशेष पूजा के बाद इस प्रसाद को श्रद्धापूर्वक वितरित किया जाता है
कोटे वेंकटरमणा मंदिर (Kote Venkataramana Temple)
कालासीपाल्या में स्थित यह मंदिर मैसूर वोडेयार राजवंश के दौरान डिज़ाइन और निर्मित किया गया था. यहाँ केसरी बाथ (सूजी का हलवा) और वेण्ण पोंगल (नमकीन चावल और दाल का व्यंजन) प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है. मीठा और नमकीन दोनों तरह के ये प्रसाद जीवन के दो संतुलनों—खुशी और संघर्ष, भक्ति और अनुशासन—को दर्शाते हैं. इस प्रसाद का हर एक निवाला भक्त और भगवान के रिश्ते को और गहरा करता है
बेंगलुरु के ये मंदिर सिर्फ प्रार्थना के स्थल नहीं, बल्कि ऐसे जीवंत स्थान हैं जहाँ संस्कृति, इतिहास और पाक कला की भक्ति का अद्भुत मेल देखने को मिलता है. अगली बार जब आप बेंगलुरु जाएं, तो इन मंदिरों के दर्शन करें और इनके अनूठे प्रसाद का स्वाद लेना न भूलें.
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