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Up Kiran, Digital Desk: मधुमेह (Diabetes) एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर का ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। इसे नियंत्रित करने के लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं, जिनमें दवाएं, खान-पान में बदलाव और व्यायाम शामिल हैं। हालांकि, कुछ डायबिटीज के मरीजों को इंसुलिन इंजेक्शन की आवश्यकता पड़ती है। डॉ. के. आर. बालासुब्रमण्यम, कंसल्टेंट डायबिटोलॉजिस्ट, कावेरी हॉस्पिटल, त्रिची, के अनुसार, इसके कई महत्वपूर्ण कारण हैं, खासकर टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों के लिए।

इंसुलिन की आवश्यकता क्यों पड़ती है?

डायबिटीज के मरीजों को इंसुलिन की जरूरत मुख्य रूप से तब पड़ती है जब उनका शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता या शरीर इंसुलिन के प्रतिरोधी (resistant) हो जाता है। इसके मुख्य कारण इस प्रकार हैं:

टाइप 1 डायबिटीज:

इंसुलिन का उत्पादन पूरी तरह बंद: टाइप 1 डायबिटीज में, अग्न्याशय (pancreas) की बीटा कोशिकाएं इंसुलिन का उत्पादन लगभग बंद कर देती हैं। इंसुलिन एक हार्मोन है जो रक्त शर्करा (blood sugar) को कोशिकाओं में ऊर्जा के लिए प्रवेश करने में मदद करता है। इंसुलिन के बिना, रक्त शर्करा का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ जाता है।

जीवन रक्षा के लिए आवश्यक: इस स्थिति में, इंसुलिन इंजेक्शन जीवन रक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। शरीर को सामान्य रूप से कार्य करने के लिए बाहर से इंसुलिन की आपूर्ति करनी पड़ती है।

टाइप 2 डायबिटीज:

इंसुलिन प्रतिरोध (Insulin Resistance): टाइप 2 डायबिटीज में, शुरुआत में अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन करता है, लेकिन शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति ठीक से प्रतिक्रिया नहीं करतीं, जिसे इंसुलिन प्रतिरोध कहते हैं।

इंसुलिन उत्पादन में कमी: समय के साथ, अग्न्याशय पर लगातार अधिक इंसुलिन बनाने का दबाव पड़ता है, जिससे धीरे-धीरे इंसुलिन उत्पादन करने की क्षमता कम हो जाती है।

दवाओं और जीवनशैली में बदलाव के बावजूद: जब केवल आहार, व्यायाम और मौखिक दवाओं (oral medications) से ब्लड शुगर को नियंत्रित करना संभव नहीं हो पाता, तब डॉक्टर इंसुलिन थेरेपी की सलाह देते हैं। इंसुलिन इंजेक्शन ब्लड शुगर के स्तर को प्रभावी ढंग से कम करने और मधुमेह से संबंधित दीर्घकालिक जटिलताओं (जैसे हृदय रोग, किडनी की समस्याएं, आंखों की समस्याएं) को रोकने में मदद करते हैं।

एक्सपर्ट की राय: डॉ. बालासुब्रमण्यम बताते हैं कि डायबिटीज एक प्रगतिशील बीमारी है, जिसका अर्थ है कि समय के साथ यह और बिगड़ सकती है। इसलिए, यदि किसी मरीज का ब्लड शुगर लेवल जीवनशैली में बदलाव और मौखिक दवाओं से नियंत्रित नहीं हो रहा है, तो इंसुलिन थेरेपी शुरू करना एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। यह न केवल ब्लड शुगर को स्थिर रखता है बल्कि शरीर के अंगों को होने वाले दीर्घकालिक नुकसान से बचाने में भी मदद करता है।

इंसुलिन थेरेपी कब शुरू की जाती है?

जब HbA1c स्तर (पिछले 2-3 महीनों का औसत ब्लड शुगर) लगातार ऊंचा रहता है।

जब ब्लड शुगर लेवल बहुत अधिक हो जाता है और तत्काल नियंत्रण की आवश्यकता होती है।

जब मरीज को टाइप 1 डायबिटीज का निदान होता है।

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