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Up Kiran , Digital Desk: बांग्लादेश की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है। सेना और अंतरिम सरकार के प्रमुखों के बीच टकराव की खबरें अब खुलकर सामने आ रही हैं। सवाल यह है: क्या मोहम्मद यूनुस और सेना प्रमुख वाकर-उज-जमान के बीच बढ़ती खटास देश को फिर किसी बड़े संकट की ओर ले जा रही है?
इमरजेंसी मीटिंग ने खोली परतें
मंगलवार सुबह 9:30 बजे बांग्लादेश सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमान ने सभी अफसरों को आपातकालीन बैठक के लिए बुलाया। सूत्रों के मुताबिक यह बैठक "कार्य योजना" के नाम पर बुलाई गई थी मगर इसके पीछे की असली चिंता अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के फैसलों और नीतियों को लेकर थी।
एक वरिष्ठ सैन्य सूत्र ने बताया कि जमान चाहते हैं कि यूनुस तत्काल चुनाव की घोषणा करें जिससे विदेशी हस्तक्षेप को रोका जा सके। सेना का मानना है कि बांग्लादेश की राजनीतिक अस्थिरता के पीछे बाहरी ताकतों खासकर अमेरिका की भूमिका है जो यूनुस के ज़रिए देश की आंतरिक राजनीति को प्रभावित कर रही हैं।
???????? अमेरिका का साया और NSA की नियुक्ति
जमान ने मीटिंग से एक दिन पहले अमेरिकी राजनयिकों से भी मुलाकात की थी। वहीं यूनुस ने सेना प्रमुख की गैरमौजूदगी में एक नया राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) खलीलुर रहमान नियुक्त कर दिया — जो सेना में बगावत की एक कोशिश मानी जा रही है। यही नहीं यूनुस के कार्यकारी आदेशों से कैदियों की रिहाई और सेना के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप को लेकर भी जमान नाराज हैं।
यूनुस की रणनीति: जमान को हटाने की कोशिश
सूत्रों का दावा है कि यूनुस और उनके नवनियुक्त NSA का मकसद सेना प्रमुख को हटाना है। लेफ्टिनेंट जनरल फैज़ुर रहमान की NSA के साथ एक बंद कमरे में बैठक ने इस संदेह को और गहरा कर दिया है। हालांकि ज्यादातर सैन्य कमांडर जल्द से जल्द चुनाव चाहते हैं और जमान के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं।
सेना प्रमुख ने साफ कर दिया है कि वे सिविल सोसायटी के किसी भी दबाव या प्रदर्शन को बर्दाश्त नहीं करेंगे। उनके घर और दफ्तर के आसपास किसी भी विरोध प्रदर्शन को रोक दिया गया है।
राजनीतिक गठबंधन की कोशिश
जमान का फोकस है शेख हसीना और खालिदा जिया की पार्टियों को एक साथ लाकर निष्पक्ष चुनाव कराना। उन्होंने पहले ही बैक-चैनल बातचीत शुरू कर दी है। इससे साफ है कि सेना देश को लोकतांत्रिक रास्ते पर वापस लाना चाहती है — मगर बिना बाहरी दखल और बिना यूनुस की तानाशाही के।
सत्ता संघर्ष या वैचारिक युद्ध
इस पूरे टकराव को केवल सत्ता संघर्ष कहना शायद अधूरा होगा। यह वैचारिक युद्ध भी है। यूनुस को अमेरिका समर्थक और पाकिस्तान-परस्त कहा जा रहा है जबकि जमान को भारत समर्थक और धर्मनिरपेक्ष छवि वाला नेता माना जाता है। यूनुस पर आरोप है कि वे इस्लामी कट्टरपंथियों से समर्थन पा रहे हैं जबकि जमान इन ताकतों से दूरी बनाए रखना चाहते हैं।
यूनुस ने अवामी लीग को बैन करने और शेख मुजीबुर रहमान के नाम को इतिहास से मिटाने की कोशिशें की हैं — जिसने उनकी लोकतांत्रिक साख पर सवाल खड़े किए हैं।
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