Up kiran,Digital Desk : छत्तीसगढ़ में अगर आप जमीन खरीदने या बेचने की सोच रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी है। सरकार ने 7 साल के लंबे इंतज़ार के बाद जमीन के सरकारी रेट (गाइडलाइन दरें) में बहुत बड़ा बदलाव किया है, जो 20 नवंबर 2025 से लागू भी हो गया है।
इस बदलाव का सीधा मतलब है कि अब जमीन की सरकारी कीमत को बाज़ार की असली कीमत के करीब लाया गया है। इससे न सिर्फ सालों से चली आ रही कन्फ्यूजन खत्म होगी, बल्कि आम लोगों और खासकर किसानों को इसका सीधा फायदा मिलेगा। तो आखिर बदला क्या है? आइए आसान भाषा में समझते हैं।
1. शहरों में खत्म हुआ कन्फ्यूजन: 'एक मोहल्ला, एक रेट'
पहले शहरों में एक ही मोहल्ले या वार्ड में जमीन के अलग-अलग रेट होते थे, जिससे लोग हमेशा कंफ्यूज रहते थे।
- उदाहरण से समझिए: कोरबा के वार्ड 12 (नई बस्ती) में कहीं रेट ₹8,000 था तो कुछ ही दूरी पर ₹32,500। अब इस पूरे इलाके को एक मानकर एक समान रेट ₹36,000 प्रति वर्गमीटर कर दिया गया है।
- क्या हुआ इससे? अब कोई कन्फ्यूजन नहीं। एक जैसे इलाके में एक जैसा सरकारी रेट।
2. गांव और किसानों के लिए सबसे बड़ी खुशखबरी
गांवों में तो रेट को लेकर और भी ज़्यादा असमानता थी। एक ही सड़क के किनारे बसे गांवों की जमीन के रेट में ज़मीन-आसमान का फर्क था।
- उदाहरण से समझिए: रामपुर-नोनबिर्रा मुख्य मार्ग पर बसे गांवों में जमीन का सरकारी रेट ₹9 लाख से ₹16 लाख प्रति हेक्टेयर तक था। अब इन सभी गांवों के लिए एक समान रेट ₹40 लाख प्रति हेक्टेयर कर दिया गया है।
- किसानों को फायदा: अब अगर सरकार सड़क या किसी प्रोजेक्ट के लिए इन गांवों की जमीन का अधिग्रहण करेगी, तो किसानों को कई गुना ज़्यादा और सही मुआवजा मिलेगा।
3. आम जनता और किसानों को मिली सबसे बड़ी राहत! (यह नियम ज़रूर समझें)
- पुराना नियम: पहले अगर आप गांव में किसी किसान की खेती की जमीन को घर बनाने या किसी दूसरे काम (परिवर्तित भूमि) के लिए खरीदते थे, तो सरकारी कीमत को ढाई गुना (2.5x) करके उस पर टैक्स (स्टाम्प और पंजीयन शुल्क) वसूला जाता था।
- नया नियम: अब इस ढाई गुना वाले नियम को खत्म कर दिया गया है!
मान लीजिए, एक खेती की जमीन का सरकारी रेट 10 लाख रुपये है।
- पुराने नियम के हिसाब से आपको टैक्स 25 लाख रुपये (10 लाख x 2.5) पर देना पड़ता।
- नए नियम के हिसाब से अब आपको टैक्स सिर्फ 10 लाख रुपये पर ही देना होगा।
4. और भी हैं फायदे!
- पहले जमीन के साथ-साथ उस पर बने ट्यूबवेल या कुएं की कीमत भी सरकारी रेट में जोड़ दी जाती थी, जिससे टैक्स बढ़ जाता था।
- अब ट्यूबवेल या कुएं की कीमत को नहीं जोड़ा जाएगा, जिससे और राहत मिलेगी।
कुल मिलाकर इस बदलाव का असर क्या होगा?
- किसानों को ज़मीन का सही और ज़्यादा मुआवजा मिलेगा।
- जमीन की खरीद-बिक्री आसान और पारदर्शी होगी।
- शहरों और गांवों के विकास में तेज़ी आएगी।
- राज्य में निवेश के लिए बेहतर माहौल बनेगा।
साफ है कि सरकार का यह कदम ज़मीन के बाज़ार में एक बड़ा और सकारात्मक बदलाव लाने वाला है
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