
Up Kiran, Digital Desk: कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले में स्थित सिगंदूर, अपनी प्रसिद्ध श्री चौडेश्वरी मंदिर के कारण एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। इस मंदिर तक पहुँच को आसान बनाने के लिए शरवती बैकवाटर पर बनाए गए पुल ने निश्चित रूप से भक्तों के लिए यात्रा को सुगम बना दिया है। पहले, श्रद्धालुओं को खतरनाक और समय लेने वाली नौकाओं पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन पुल के निर्माण ने इसे बहुत हद तक बदल दिया है। हालांकि, यह सुविधा अपने साथ कई अनपेक्षित और गंभीर चुनौतियाँ भी लेकर आई है, जिसने स्थानीय जीवन और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डाला है।
तीर्थयात्रा को मिला बढ़ावा, पर...
पुल बनने के बाद, मंदिर तक पहुँचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। अब यात्रा आसान होने से दूर-दराज से भी भक्त यहाँ पहुँच रहे हैं। यह एक तरफ तो धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा दे रहा है, लेकिन दूसरी तरफ इससे उत्पन्न होने वाली समस्याओं से स्थानीय प्रशासन और निवासियों के लिए सिरदर्द बन गया है।
भीषण यातायात जाम: सबसे बड़ी समस्या यातायात जाम की है। खासकर सप्ताहांत और त्योहारों पर, पुल के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग जाती हैं। इससे स्थानीय लोगों के लिए आवागमन मुश्किल हो जाता है और वे अपने दैनिक कार्यों के लिए भी घंटों फंसे रहते हैं।
कचरा प्रबंधन का अभाव: श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के साथ कचरे की समस्या भी विकराल रूप ले चुकी है। पीने के पानी की बोतलें, खाने-पीने के पैकेट और अन्य प्लास्टिक कचरा सड़कों के किनारे और पानी में भी फेंका जा रहा है, जिससे प्रदूषण बढ़ रहा है और स्थानीय पर्यावरण दूषित हो रहा है।
बुनियादी सुविधाओं की कमी: बढ़ती भीड़ के अनुपात में बुनियादी सुविधाओं का विकास नहीं हुआ है। शौचालयों, पीने के पानी और भोजन जैसी सुविधाओं का अभाव है, जिससे तीर्थयात्रियों को भारी असुविधा होती है। स्वच्छ और पर्याप्त सार्वजनिक शौचालयों की कमी एक गंभीर स्वास्थ्य मुद्दा बन गई है।
पर्यावरण पर प्रभाव: शरवती बैकवाटर और आसपास के पारिस्थितिकी तंत्र पर बढ़ते प्रदूषण का नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। खुले में शौच और कचरा फेंकने से जल प्रदूषण और मृदा प्रदूषण बढ़ रहा है, जो स्थानीय वन्यजीव और जल जीवन के लिए खतरा है।
स्थानीय जीवन पर असर: गाँव के शांत और ग्रामीण माहौल पर बढ़ती भीड़ और शोर-शराबे का असर पड़ा है। स्थानीय निवासियों को अपनी शांति भंग होती महसूस हो रही है और उन्हें दैनिक जीवन में कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: भीड़भाड़ वाले इलाकों में अक्सर सुरक्षा संबंधी चिंताएँ भी बढ़ जाती हैं। दुर्घटनाओं और अन्य अप्रिय घटनाओं की संभावना अधिक हो जाती है।
आगे की राह: यह एक क्लासिक मामला है जहाँ विकास अपनी चुनौतियाँ लेकर आता है। सिगंदूर पुल ने निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण आवश्यकता को पूरा किया है, लेकिन अब प्रशासन को इन समस्याओं के समाधान के लिए तत्काल कदम उठाने होंगे। इसमें बेहतर यातायात प्रबंधन, प्रभावी कचरा निपटान प्रणाली, पर्याप्त बुनियादी सुविधाओं का प्रावधान, और पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता अभियान शामिल हैं।
यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि तीर्थयात्रा को बढ़ावा मिले, लेकिन साथ ही स्थानीय पर्यावरण और निवासियों के जीवन की गुणवत्ता भी बनी रहे। संतुलन ही इस समस्या का एकमात्र समाधान है।
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