
Up Kiran, Digital Desk: भारत अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है। इसी कड़ी में, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि भारत का अगला अंतरिक्ष यात्री पूरी तरह से 'स्वदेशी' अंतरिक्ष यान (होमग्रोन स्पेसक्राफ्ट) में यात्रा करेगा, जो देश की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमताओं और आत्मनिर्भरता का प्रतीक होगा।
यह घोषणा 'गगनयान' मिशन के संदर्भ में की गई है, जिसका उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और उन्हें सुरक्षित वापस लाना है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि भारत अब अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर हो रहा है और हम अब विदेशी भागीदारों पर निर्भर नहीं हैं, खासकर मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन के लिए।
आत्मनिर्भरता और स्वदेशी क्षमता का प्रदर्शन:
यह बयान भारत के 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान और 'मेक इन इंडिया' पहल के अनुरूप है। इसका मतलब है कि अंतरिक्ष यात्री को ले जाने वाले कैप्सूल से लेकर लॉन्च व्हीकल तक, सभी प्रणालियां और उपप्रणालियां भारत में ही डिजाइन और निर्मित की जाएंगी। यह भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की असाधारण प्रतिभा और कड़ी मेहनत का परिणाम है।
गगनयान मिशन का महत्व:
गगनयान मिशन भारत के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है:
प्रौद्योगिकी विकास: यह देश में उन्नत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के विकास को गति देगा।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा: मानव अंतरिक्ष उड़ान की क्षमता हासिल करने से वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ेगी।
युवाओं को प्रेरणा: यह विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में युवाओं को करियर बनाने के लिए प्रेरित करेगा।
दीर्घकालिक लाभ: अंतरिक्ष में अनुसंधान और विकास से विभिन्न क्षेत्रों में दीर्घकालिक लाभ मिलेंगे।
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