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देश के साथ साथ विश्व भर के करीबन 79 प्रतिशत किसान धान की पराली जलाते हैं, जिससे खतरनाक वायु प्रदूषण फैलता है। हर साल धान कटाई के बाद पराली जलाने की घटनाएं बढ़ जाती हैं, जिससे पॉल्यूशन में इजाफा होता है. ऐसे में बायो डिकंपोजर की मांग बढ़ गई है. सन् 2020 में पूसा इंस्टीट्यूट बायो एक दवा लेकर आई थी।

दवा डिकम्पोजर कैप्सूल के नाम से जानी जाती है। इस दवा का घोल बनाकर छिड़काव करने से कुछ ही हफ्तों में खाद पराली में तब्दील हो जाती है. पूसा इंस्टीट्यूट के माने तो, 4 कैप्सूल से 25 लीटर तक बायो डिकंपोजर घोल बनाया जा सकता है. 5 लीटर घोल में 500 लीटर पानी मिलाकर इसका छिड़काव लमसम दो-ढाई एकड़ में किया जा सकता है।

जानकारी के अनुसार, ये पराली को 7 दिनों में ही सड़ाकर खाद बना सकता है.  छिड़काव करने के बाद पराली को जल्द से जल्द मिट्टी में मिलाना या जुताई करना बहुत अहम है. कंपनी से इस कैप्सूल को आप खरीद सकते हैं. इसके 4 कैप्सूल की कुल प्राइस 40 रुपए है.

आपको बता दें कि हमारे देश में, पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रतिबंध के बावजूद, 1980 के दशक से अभी भी पराली जलाने का चलन है। अफसर इस प्रतिबंध को ज्यादा सक्रिय रूप से लागू करना और विकल्पों पर रिसर्च करना शुरू कर रहे हैं।

 

 

 

 

 

 

 

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