
Up Kiran, Digital Desk: जीएसटी दरों में किए गए बड़े बदलाव से सरकारी खजाने पर कोई négatif असर नहीं पड़ेगा, बल्कि इससे टैक्स कलेक्शन में और उछाल आएगा। यह कहना है राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा का। उन्होंने विश्वास जताया है कि जीएसटी स्लैब को सरल बनाने से अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और टैक्स कलेक्शन के मोर्चे पर अच्छी खबर मिलेगी।
कम टैक्स दर के बावजूद कैसे बढ़ेगी कमाई?
राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ने बताया कि जीएसटी दरों को 5% और 18% के दो मुख्य स्लैब में बदलने का फैसला बहुत सोच-समझकर लिया गया है। उन्होंने समझाया कि जब टैक्स की दरें कम होती हैं, तो ज्यादा लोग और बिजनेस टैक्स के दायरे में आने के लिए प्रोत्साहित होते हैं। इससे खपत (consumption) बढ़ती है और कुल मिलाकर टैक्स कलेक्शन में वृद्धि होती है। उन्होंने कहा, "हमारा लक्ष्य सिर्फ टैक्स दरों को कम करना नहीं है, बल्कि सिस्टम को इतना सरल बनाना है कि टैक्स का पालन करना आसान हो जाए।"
कंपनियों को दी चेतावनी, आम आदमी को मिले फायदा
मल्होत्रा ने यह भी साफ किया कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि टैक्स कटौती का पूरा फायदा आम आदमी तक पहुंचे। उन्होंने कहा, "यह बहुत जरूरी है कि जीएसटी दरों में कमी का लाभ कीमतों में कटौती के रूप में ग्राहकों तक पहुंचाया जाए। राष्ट्रीय मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण (National Anti-profiteering Authority) इस पर कड़ी नजर रखेगा कि कंपनियां दाम कम कर रही हैं या नहीं।"
सरकारी खजाने पर असर नहीं
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि लग्जरी और 'सिन गुड्स' (जैसे तंबाकू) पर 40% का नया टैक्स स्लैब लगाने से, दरों में कटौती से होने वाले राजस्व नुकसान की काफी हद तक भरपाई हो जाएगी। इससे सरकार के वित्तीय स्वास्थ्य पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा और विकास कार्यों के लिए फंड की कमी नहीं होगी। इस कदम से न केवल महंगाई को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी, बल्कि घरेलू खरीदारी की क्षमता भी बढ़ेगी।
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