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राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी पुरजोर तरीके से तैयार हो गई है। यूं कहें कि आला कमान कांग्रेस का आला कमान राहुल गांधी की ओर से सचिन पायलट पर विश्वास जताया गया और विश्वास जताने के साथ ही सचिन पायलट पुरजोर तरीके से मैदान में उतर गया। सीडब्ल्यूसी का सदस्य सचिन पायलट को बनाया गया। इसके बाद टोंक में निरंतर उनकी ओर से सभाएं की जारी है। बीते दो दिन से टोंक में डेरा डाले वह जनता का मन टटोलने की कोशिश की जा रही है।

वसुंधरा राजे का तोड़ ढूंढ रही बीजेपी

पर बीजेपी की अगर बात करें बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने वसुंधरा राजे पर विश्वास नहीं जताया और उन्हें वसुंधरा राजे का ऑप्शन ढूंढने की पूरी कवायद की गई। हालांकि कई केंद्रीय नेतृत्व को भी राजस्थान के दौरे पर उतारा गया। परिवर्तन यात्रा में भी कई केंद्रीय मंत्री सांसद जो दिखे थे। मगर अभी जितना सर्वे आज है, केंद्रीय नेतृत्व या यूं कहें कि बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से किया गया था। उसके बाद स्थिति ये निकल कर आई कि वसुंधरा राजे का तोड़ बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व नहीं निकाल पाया।

हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जयपुर आते हैं। उस दौरान दीया कुमारी मंच साझा करती है, वसुंधरा राजे का स्पीच नहीं होता है। इसके बाद कयास ये लगाए जाते हैं कि क्या केंद्रीय नेतृत्व ने वसुंधरा राजे को साइडलाइन कर दिया है। मगर जिस तरह जेपी नड्डा, अमित शाह राजधानी जयपुर आते हैं और वसुंधरा राजे से मुलाकात करते हैं, बंद कमरे में मुलाकात होती है। 

बीएल संतोष भी इस दौरान मौजूद रहते हैं। उसके बाद यूं कहें कि वसुंधरा राजे को पूर्ण जिम्मेदारी जो है केंद्र नेतृत्व की ओर से दे दी गई है। हालांकि केन्द्रीय नेतृत्व ने वसुंधरा राजे का अवसर ढूँढने की तो कोशिश की थी, मगर जिस तरह वसुंधरा राजे का ऑप्शन नहीं मिला, वसुंधरा राजे को कमान संभाल दी। तो क्या वसुंधरा राजे इस विधान सभा चुनाव को जिता पाएगी?

पायलट पर राहुल को भरोसा

अब सचिन पायलट की अगर बात करें राहुल गांधी सचिन पायलट पर निरंतर विश्वास जताते आ रहे हैं। आज की टिकट का क्या वितरण होगा। सचिन पायलट भी अपने दावेदारों के लिए अपने समर्थकों के लिए टिकट मांगेगे। हालांकि 35 से 40 जो टिकट देव सचिन पायलट की ओर से मांगी जाएगी मगर क्या वो 35 से 40 लोग जिनको टिकट मिलेगी सचिन पायलट उनको जिता पाएंगे। 

क्योंकि केंद्रीय नेतृत्व के दर पर तो निरंतर जो है सचिन पहले डेरा डालने में लगे थे। राहुल गांधी की ओर से भी सचिन पायलट पर विश्वास जताया जा रहा था। मगर अगर सचिन पायलट भी यूं कहें कि विधानसभा चुनाव जिताने में अपनी भागीदारी नहीं निभा पाते हैं तो कहीं न कहीं आला कमान के सामने उनका कद भी घट जाएगा। 

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