
Up Kiran, Digital Desk: शतरंज की दुनिया के फैंस के लिए इससे बड़ी और रोमांचक खबर शायद ही कोई हो सकती है! वो दो नाम, जिनकी दुश्मनी और मुकाबले की कहानियां आज भी सुनाई जाती हैं, एक बार फिर 64 खानों की बिसात पर एक-दूसरे को मात देने के लिए तैयार हैं। हम बात कर रहे हैं भारत के गौरव, विश्वनाथन 'विशी' आनंद और रूस के 'शह और मात' के बेताज बादशाह, गैरी कास्पारोव की।
लगभग 30 सालों के लंबे अंतराल के बाद, ये दोनों दिग्गज एक बार फिर एक-दूसरे के आमने-सामने होंगे। यह सिर्फ एक मैच नहीं, बल्कि इतिहास को फिर से जीने जैसा है।
वो दौर, जब साँसें थम जाती थीं: एक दौर था जब आनंद और कास्पारोव का मुकाबला सिर्फ शतरंज का खेल नहीं, बल्कि दिमागी जंग का सबसे बड़ा अखाड़ा माना जाता था। उनकी हर चाल पर दुनिया भर के शतरंज प्रेमियों की साँसें अटकी रहती थीं। 1995 में वर्ल्ड चैंपियनशिप का वो फाइनल आज भी लोगों को याद है, जहाँ इन दोनों के बीच जबरदस्त टक्कर हुई थी। हालांकि उस मुकाबले में जीत कास्पारोव की हुई थी, लेकिन आनंद ने बता दिया था कि शतरंज की दुनिया में एक नया 'किंग' दस्तक दे चुका है।
उनकी प्रतिद्वंद्विता हमेशा सम्मानजनक रही, लेकिन बिसात पर वे एक-दूसरे के सबसे बड़े दुश्मन थे। कास्पारोव अपनी आक्रामक चालों के लिए जाने जाते थे, तो आनंद अपने शांत स्वभाव और बिजली की रफ्तार से की गई चालों (उन्हें 'लाइटनिंग किड' भी कहा जाता था) के लिए मशहूर थे।
अब क्यों हो रही है यह टक्कर: यह मुकाबला किसी वर्ल्ड चैंपियनशिप का हिस्सा तो नहीं है, लेकिन इसका महत्व उससे कम भी नहीं है। यह मैच शतरंज के खेल को सेलिब्रेट करने और दो पीढ़ियों को यह दिखाने का मौका है कि असली मुकाबला कैसा होता है। यह सिर्फ दो खिलाड़ियों का नहीं, बल्कि दो अलग-अलग शैलियों, दो अलग-अलग युगों और दो महानतम दिमागों का टकराव है।
फैंस के लिए यह किसी सपने के सच होने जैसा है। वे एक बार फिर अपने हीरो को उसी पुराने अंदाज में "चेकमेट" कहते हुए देखना चाहते हैं। यह मैच बताएगा कि भले ही उम्र बढ़ गई हो, लेकिन एक चैंपियन का दिमाग और उसकी चाल की धार कभी पुरानी नहीं होती।