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जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की जो जड़ें आज हमें दिखाई देती हैं, वो रातों-रात नहीं फैलीं. भारतीय सेना के ** डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई** ने हाल ही में इस बात पर रोशनी डाली है कि कैसे जम्मू-कश्मीर दशकों से आतंकवाद का केंद्र बना हुआ है, और यह कोई अचानक हुई घटना नहीं है, बल्कि सालों से चली आ रही एक कहानी है.

DGMO लेफ्टिनेंट जनरल घई ने बताया कि यह आतंकवाद का जाल किसी एक दिन या एक साल में नहीं बुना गया. बल्कि, 'ऑपरेशन सिंदूर' (OP Sindoor - शायद यह एक ऑपरेशन का कोड नाम हो सकता है, या यह सीधे तौर पर कहना चाह रहे हों कि ये चीज़ रातों-रात नहीं बनी) की तरह, यह धीरे-धीरे, सुनियोजित तरीके से बढ़ता रहा. इसका मकसद हमेशा से जम्मू-कश्मीर को भारत के लिए एक 'हॉटबेड' बनाना रहा है, जहाँ से वो अस्थिरता फैला सकें.

भारत का 'अटल' संकल्प: लेफ्टिनेंट जनरल घई ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारतीय सेना और सुरक्षा बलों ने दशकों से इस मुश्किल लड़ाई को लड़ा है. हमारे जवानों ने सब्र, हिम्मत और अथक प्रयास से आतंकवाद का मुकाबला किया है. यह उनकी सालों की मेहनत और बलिदान का नतीजा है कि आज हालात में सुधार दिख रहा है. यह कहना गलत होगा कि यह समस्या अचानक आ गई. बल्कि, यह एक ऐसा संघर्ष रहा है जिसे भारत ने धैर्य और रणनीति के साथ संभाला है.

DGMO ने उम्मीद जताई कि जिस तरह से सेनाएं लगातार ऑपरेशन चला रही हैं, और जिस तरह से अलगाववादी ताकतों को दबाने की कोशिश की जा रही है, उससे जम्मू-कश्मीर में शांति की बहाली में और तेज़ी आएगी. उन्होंने भारतीय सेना की उस मज़बूती और संकल्प पर ज़ोर दिया, जिसके दम पर भारत ऐसे दुश्मनों से लगातार लड़ रहा है.