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india bangladesh relation: बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद से देश में शांति की उम्मीद नहीं के बराबर है। यूनुस सरकार स्थिति को स्थिर करने और राहत की सांस लेने की कोशिश कर रही है, मगर खतरे लगातार मंडरा रहे हैं।

इसके साथ ही वर्तमान में जारी बिजली संकट ने भी इसे और जटिल बना दिया है, जिसने भारत विरोधी भावना के चलते बांग्लादेश को अंधकार में डुबो दिया है। इस अंधकार को दूर करने के लिए बांग्लादेश अब नेपाल से सहायता मांग रहा है।

बांग्लादेश में बिजली संकट पर नेपाल के साथ समझौता

बांग्लादेश में बिजली की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि उसे 40 मेगावाट बिजली के लिए नेपाल से हाथ मिलाना पड़ रहा है। बांग्लादेश और नेपाल की सरकारों के बीच जल्द ही आपूर्ति समझौते पर हस्ताक्षर हो सकते हैं, मगर इस समझौते में भी भारत की अहम भूमिका होगी। रिपोर्ट्स बताती हैं कि ये एक त्रिपक्षीय समझौता होगा। अगर बांग्लादेश नेपाल से बिजली आयात करता है, तो उसे भारतीय क्षेत्र से होकर गुजरना होगा, जो दर्शाता है कि भारत के बिना बांग्लादेश की प्रगति नामुमकिन है।

सूत्रों से पता चला है कि 40 मेगावाट बिजली आयात करने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए बांग्लादेश से एक प्रतिनिधिमंडल नेपाल पहुंच चुका है। बिजली विभाग के वरिष्ठ सचिव हबीबुर रहमान के नेतृत्व में आठ सदस्यीय दल द्वारा बिजली आपूर्ति समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद है। इस समझौते में खास तौर पर भारत की अहम भूमिका होगी क्योंकि बांग्लादेश को बिजली केवल भारतीय क्षेत्र से ही मिल सकती है।

बताया जा रहा है कि बांग्लादेश को भारतीय क्षेत्र से बिजली आयात करने के लिए लगभग ₹6 प्रति यूनिट का भुगतान करना होगा। हालांकि, अगर बांग्लादेश सीधे नेपाल से बिजली आयात कर सकता है, तो लागत में काफी कमी आएगी। बीपीडीबी के एक अधिकारी ने कहा कि अगर नेपाल भारतीय क्षेत्र के माध्यम से बिजली की आपूर्ति करता है, तो लगभग 26 किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइनों की जरुरत होगी।

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