
Up Kiran, Digital Desk: अंतरराष्ट्रीय राजनीति के गलियारों में तब हलचल मच गई जब बलूचिस्तान के अधिकारों के लिए लड़ने वाले प्रमुख नेता मीर यार बलूच ने एक अत्यंत गंभीर चेतावनी जारी की। उन्होंने आशंका जताई है कि यदि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान के बीच बलूचिस्तान को लेकर कोई "डील" या सौदा होता है, तो यह न केवल बलूच लोगों के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है। मीर यार बलूच के इस बयान ने वैश्विक मंच पर नई बहस छेड़ दी है और कई सवालों को जन्म दिया है।
बलूचिस्तान की पुकार: कब तक अनसुनी रहेगी?
मीर यार बलूच, जो वर्षों से बलूचिस्तान की आजादी और वहां के लोगों के मानवाधिकारों के लिए आवाज उठा रहे हैं, ने कहा है कि बड़े देश अक्सर स्थानीय लोगों की इच्छाओं और उनकी आकांक्षाओं को नजरअंदाज कर देते हैं। उनका मानना है कि अमेरिका जैसी महाशक्तियां, पाकिस्तान जैसे देशों के साथ रणनीतिक समझौतों में बलूचिस्तान के लोगों के भविष्य को दांव पर लगा सकती हैं। बलूचिस्तान, जो रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र है, लंबे समय से पाकिस्तानी सेना द्वारा कथित तौर पर दमन और मानवाधिकारों के उल्लंघन का सामना कर रहा है। बलूच समुदाय अपनी पहचान, संस्कृति और स्वायत्तता की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहा है।
'डील' का मतलब क्या? विनाश की ओर क्यों?
मीर यार बलूच की चेतावनी किसी छोटी-मोटी बात नहीं है। उनका मानना है कि यदि ट्रंप प्रशासन, पाकिस्तान के साथ बलूचिस्तान के भविष्य को लेकर कोई समझौता करता है, जो कि वहां के लोगों की इच्छा के विरुद्ध हो, तो यह एक बड़ी भूल होगी। यह सिर्फ बलूचिस्तान के लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का हनन नहीं होगा, बल्कि इससे पूरे क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ सकती है। उनका यह भी कहना है कि ऐसी डील या तो पाकिस्तान की नीतियों को और मजबूत करेगी, जिससे वहां दमन बढ़ेगा, या फिर यह क्षेत्र को और अधिक संघर्ष की ओर धकेलेगा, जिसके दूरगामी परिणाम पूरी दुनिया के लिए खतरनाक हो सकते हैं। यह एक तरह से 'परमाणु शक्ति' जैसे संवेदनशील क्षेत्र में असंतुलन पैदा कर सकता है।
अंतरराष्ट्रीय राजनीति और बलूचिस्तान का दांव
बलूचिस्तान की स्थिति हमेशा से ही अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और भू-राजनीति का एक संवेदनशील मुद्दा रही है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स की वजह से इस क्षेत्र का महत्व और भी बढ़ गया है। ऐसे में, अमेरिका की किसी भी तरह की डील, चाहे वह पाकिस्तान के साथ हो या सीधे बलूचिस्तान के प्रतिनिधियों के साथ, दूरगामी प्रभाव डाल सकती है। मीर यार बलूच जैसे नेताओं का यह कहना महत्वपूर्ण है कि इन समझौतों में बलूच लोगों की आवाज को सुना जाना अत्यंत आवश्यक है। उनके बिना लिया गया कोई भी फैसला, वहां के लोगों के लिए और भी बड़ी त्रासदी का कारण बन सकता है।
मानवाधिकारों की अनदेखी और वैश्विक परिणाम
बलूचिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता व्यक्त की जाती रही है। गायब किए गए लोग, अत्याचार और दमन की खबरें अक्सर सामने आती रहती हैं। ऐसे में, यदि कोई बड़ी शक्ति इस मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ ऐसी डील करती है जो इन मुद्दों का समाधान न करे, बल्कि उन्हें नजरअंदाज कर दे, तो यह न केवल अन्याय होगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर यह गलत संदेश भी देगा कि बड़ी शक्तियों के लिए मानवाधिकारों से ज्यादा रणनीतिक हित मायने रखते हैं। मीर यार बलूच की चेतावनी इसी चिंता को उजागर करती है कि ऐसी भूलें अंततः पूरी दुनिया को अस्थिरता और विनाश की ओर ले जा सकती हैं।
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