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Up Kiran Digital Desk: अंतरिक्ष हमेशा से रहस्यों और अचरजों से भरा रहा है। वैज्ञानिकों ने समय-समय पर ऐसी खोजें की हैं जिन्होंने हमारी ब्रह्मांड संबंधी समझ को और गहरा किया है। कुछ साल पहले ऐसी ही एक दिलचस्प खोज हुई थी - एक ऐसा ग्रह जहां सोने का अथाह भंडार होने का अनुमान लगाया गया है। यह अनोखा ग्रह जो मंगल और बृहस्पति के बीच सूर्य की परिक्रमा कर रहा है 16 साइकी (16 Psyche) के नाम से जाना जाता है।
इस छोटे ग्रह की खोज आज से लगभग 173 साल पहले 17 मार्च 1852 को इतालवी खगोलशास्त्री एनीबेल डी गैस्पारिस ने की थी। यह पृथ्वी की तुलना में सूर्य से लगभग तीन गुना अधिक दूरी पर स्थित है। हालांकि इस पर सोना होने की जानकारी कुछ साल पहले ही सामने आई जिसने वैज्ञानिकों और आम लोगों दोनों को हैरान कर दिया।
ग्रीक देवी के नाम पर:
साइकी नाम भी बड़ा दिलचस्प है। 1852 में जब गैस्पारिस ने इस ग्रह को खोजा तो उन्होंने इसका नाम ग्रीक पौराणिक कथाओं की प्रेम और आत्मा की देवी साइकी (Psyche) के नाम पर रखा। और इस तरह इस खगोलीय पिंड को मिला '16 साइकी' का नाम।
सोने और धातुओं का भंडार:
वैज्ञानिकों का मानना है कि मंगल और बृहस्पति के बीच मौजूद एस्टेरॉयड बेल्ट में स्थित 16 साइकी सोने और अन्य कीमती धातुओं से भरपूर है। नासा के अनुसार यह एस्टेरॉयड मुख्य रूप से धातु से बना है जिसमें सोना लोहा और निकल (चांदी जैसा एक धातु) शामिल हैं। इसका अनुमानित मूल्य सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे - लगभग 700 क्विंटिलियन डॉलर (यानी लगभग 5800 खरब रुपये)।
जरा सोचिए यह कितना सोना है। यदि इस सारे सोने और धातु को पृथ्वी के 7.6 अरब लोगों में बराबर-बराबर बांटा जाए तो हर व्यक्ति के हिस्से में करीब 92 अरब डॉलर (लगभग 77 खरब रुपये) आएंगे। यह वाकई में एक अविश्वसनीय आंकड़ा है।
कैसे बना ये धातु का गोला
वैज्ञानिकों का मानना है कि साइकी एक प्रोटोप्लैनेट का अवशेष है। प्रोटोप्लैनेट यानी ऐसे खगोलीय पिंड जो ग्रहों के निर्माण की शुरुआती अवस्था में होते हैं। माना जाता है कि सौरमंडल के शुरुआती दिनों में हुई टक्करों के कारण इस प्रोटोप्लैनेट का बाहरी चट्टानी हिस्सा नष्ट हो गया और इसका धात्विक कोर बच गया। यह लगभग 140 मील चौड़ा है।
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