
Up Kiran, Digital Desk: भारत की चुनावी प्रणाली में एक बड़ा बदलाव लाने की दिशा में आज एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है। 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' (One Nation, One Election) की अवधारणा पर गठित संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की आज एक अहम बैठक होने जा रही है। यह बैठक देश में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की विवादास्पद लेकिन महत्वपूर्ण योजना पर विचार-विमर्श के लिए बुलाई गई है।
बैठक का एजेंडा और उद्देश्य: इस बैठक का मुख्य उद्देश्य 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के विचार की व्यावहारिकता, इसके सामने आने वाली चुनौतियां और संवैधानिक प्रभावों पर गहन विचार-विमर्श करना है। समिति इस बात पर गौर करेगी कि कैसे देश में एक साथ चुनाव कराए जा सकते हैं, और इसके लिए किन-किन कानूनी और संवैधानिक संशोधनों की आवश्यकता होगी। इसमें चुनाव आयोग के सामने आने वाली रसद (लॉजिस्टिक्स) और सुरक्षा व्यवस्था की चुनौतियों पर भी चर्चा होगी।
पृष्ठभूमि और कोविंद समिति की सिफारिश: गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली एक उच्च-स्तरीय समिति ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के विचार को अपनी रिपोर्ट में शामिल करने की सिफारिश की थी। इस समिति ने देश में एक साथ चुनाव कराने की संभावनाओं को खंगाला था और इसे लागू करने के लिए एक विस्तृत रोडमैप पेश किया था। JPC की यह बैठक उसी रिपोर्ट और सिफारिशों को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी है।
चुनौतियां और विचारणीय बिंदु: यह अवधारणा सुनने में सरल लगती है, लेकिन इसे लागू करना कई मायनों में जटिल है।
संवैधानिक संशोधन: इसके लिए कई संवैधानिक अनुच्छेदों में बदलाव की जरूरत होगी।
राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल: राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को लोकसभा के साथ सिंक्रनाइज़ करना एक बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि कुछ विधानसभाएं अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पातीं और समय से पहले भंग हो जाती हैं।
रसद और सुरक्षा: एक साथ इतने बड़े पैमाने पर चुनाव कराने के लिए EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) और VVPAT (वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) मशीनों की भारी संख्या में आवश्यकता होगी, साथ ही सुरक्षा बलों की भी बड़े पैमाने पर तैनाती करनी होगी।
फेडरल ढांचा: कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह राज्यों की स्वायत्तता और देश के संघीय ढांचे पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
राजनीतिक आम सहमति: सभी राजनीतिक दलों के बीच इस मुद्दे पर आम सहमति बनाना भी एक बड़ी चुनौती है।
इस बैठक में कानून आयोग, विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों, कानूनी विशेषज्ञों और अन्य हितधारकों के साथ परामर्श करने की उम्मीद है, ताकि सभी दृष्टिकोणों को समझा जा सके। यह बैठक भारत की चुनावी प्रणाली के भविष्य को आकार देने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है, क्योंकि 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का लागू होना देश के राजनीतिक परिदृश्य में एक बड़ा बदलाव लाएगा।
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