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उत्तराखंड में भूस्खलन की समस्या को हल करने के लिए बड़े कदम उठाए जा रहे हैं। उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के निदेशक, शांतनु सरकार ने घोषणा की है कि नैनीताल, अल्मोड़ा, उत्तरकाशी और चमोली में भूस्खलन जोन की पहचान और समाधान के लिए लिडार सर्वे किया जाएगा।

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने भूस्खलन न्यूनीकरण और जोखिम प्रबंधन पर एक कार्यशाला आयोजित की, जिसमें शांतनु सरकार ने बताया कि इन शहरों का लिडार सर्वे हेलीकॉप्टर और ड्रोन की हेल्प से होगा। इस सर्वे से मिलने वाले डेटा को संबंधित विभागों के साथ साझा किया जाएगा, जिससे इन क्षेत्रों में सुरक्षित निर्माण कार्य और भूस्खलन संभावित क्षेत्रों का उपचार किया जा सकेगा।

शांतनु सरकार ने यह भी बताया कि लिडार सर्वे का उपयोग भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में रॉक फॉल टनल बनाकर यातायात को सुचारु बनाए रखने में भी किया जा सकेगा। इस तकनीक से भूस्खलन क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ाई जा सकेगी और हादसों को कम किया जा सकेगा।

बता दें कि लिडार तकनीक पृथ्वी की सतह की जांच करने का एक तरीका है, जिससे जमीन के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की जा सकती है। यह एक तरह की लेजर स्कैनिंग है, जिससे किसी वस्तु की भू-स्थानिक श्रृंखला का विवरण प्राप्त किया जा सकता है। लिडार तकनीक से जमीन की स्थिति का सटीक आंकलन किया जा सकता है, जिससे भूस्खलन संभावित क्षेत्रों की पहचान और समाधान में मदद मिलती है।

 

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