Up Kiran, Digital Desk: ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) एक ऐसी बीमारी है जिसके बारे में आज भी हमारे समाज में बहुत सी गलतफहमियां फैली हुई हैं. सबसे चिंता की बात यह है कि ये गलतफहमियां सिर्फ पुरानी पीढ़ी तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि आज के पढ़े-लिखे युवा और मिलेनियल्स (millennials) भी इन पर आंख मूंदकर यकीन कर लेते हैं. ये झूठी बातें या मिथक हमें असल खतरे से दूर ले जाते हैं और सही जानकारी से अनजान रखते हैं.
आज हम आपको ऐसी ही 5 सबसे बड़ी गलतफहमियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें लोग सच मान बैठे हैं.
1. मिथक: ब्रेस्ट कैंसर सिर्फ उन महिलाओं को होता है जिनके परिवार में किसी को हो.
सच: यह शायद सबसे बड़ा झूठ है जिस पर लोग यकीन करते हैं. सच तो यह है कि ब्रेस्ट कैंसर के 85% से ज्यादा मामले उन महिलाओं में पाए जाते हैं, जिनके परिवार में दूर-दूर तक किसी को यह बीमारी नहीं थी. जी हां, फैमिली हिस्ट्री एक रिस्क फैक्टर जरूर है, लेकिन यह अकेला कारण नहीं है. आपकी जीवनशैली, खान-पान और पर्यावरण जैसे कई दूसरे कारण भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं. इसलिए, यह सोचना कि "मेरे परिवार में किसी को नहीं है, तो मुझे भी नहीं होगा," एक बहुत बड़ी गलती है.
2. मिथक: डियोड्रेंट या एंटीपर्सपिरेंट लगाने से ब्रेस्ट कैंसर होता है.
सच: आपने भी व्हाट्सएप पर यह मैसेज जरूर पढ़ा होगा. लेकिन यह बात पूरी तरह से गलत है. अमेरिकन कैंसर सोसायटी समेत दुनिया की बड़ी-बड़ी स्वास्थ्य संस्थाएं यह साफ कर चुकी हैं कि डियोड्रेंट के इस्तेमाल और ब्रेस्ट कैंसर के बीच कोई सीधा संबंध नहीं मिला है. डियोड्रेंट आपकी त्वचा पर काम करते हैं और उनका शरीर के अंदरूनी हिस्सों से कोई लेना-देना नहीं होता.
3. मिथक: ब्रेस्ट में गांठ (Lump) ही कैंसर का एकमात्र लक्षण है.
सच: यह सच है कि ब्रेस्ट में गांठ होना एक मुख्य लक्षण है, लेकिन यह अकेला लक्षण नहीं है. बहुत से लोग दूसरे लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं. अगर आपको नीचे दिए गए बदलावों में से कुछ भी महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें:
निप्पल के आकार या रंग में बदलाव.
निप्पल से किसी तरह का डिस्चार्ज होना (दूध के अलावा).
ब्रेस्ट की त्वचा का मोटा होना या संतरे के छिलके जैसा दिखना.
ब्रेस्ट में सूजन या उसका आकार बदलना.
बगल में सूजन या गांठ महसूस होना.
4. मिथक: जवान लड़कियों को ब्रेस्ट कैंसर नहीं हो सकता.
सच: यह सच है कि 50 की उम्र के बाद ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि यह जवान लड़कियों को नहीं हो सकता. आजकल की बदलती जीवनशैली के कारण 20 से 30 साल की उम्र की लड़कियों में भी ब्रेस्ट कैंसर के मामले देखे जा रहे हैं. इसलिए उम्र कोई भी हो, अपने शरीर में हो रहे बदलावों को नजरअंदाज न करें.
5. मिथक: मैमोग्राम (Mammogram) कराने से कैंसर फैलता है.
सच: मैमोग्राम ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने के लिए एक एक्स-रे तकनीक है. इसमें बहुत ही कम मात्रा में रेडिएशन का इस्तेमाल होता है, जो पूरी तरह से सुरक्षित है. मैमोग्राम से कैंसर होने या फैलने की बात एक कोरा झूठ है. सच तो यह है कि मैमोग्राम की मदद से कैंसर को शुरुआती स्टेज में ही पकड़ा जा सकता है, जिससे इलाज आसान हो जाता है और जान बचने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है.
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