Domestic Violence: पुरुषों के खिलाफ अत्याचार एक गंभीर सामाजिक मुद्दा है। इसे अक्सर नजरअंदाज किया जाता है। हाल ही में बेंगलुरु में एक AI इंजीनियर अतुल सुभाष ने अपनी पत्नी और ससुराल वालों के अत्याचारों से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। कई मुल्कों में पुरुषों के खिलाफ हिंसा, मानसिक उत्पीड़न और भेदभाव के मामले सामने आते हैं। यहां कुछ देशों के चौंकाने वाले आंकड़े प्रस्तुत किए जा रहे हैं:
भारत: एक अध्ययन के अनुसार, 52.4% पुरुष कभी न कभी घरेलू हिंसा का शिकार होते हैं। इसमें मानसिक उत्पीड़न (49%) और शारीरिक हिंसा (6%) शामिल है।
पुरुषों के खिलाफ झूठे आरोपों के मामलों में भी वृद्धि देखी गई है।
इंग्लैंड: हर तीन में से एक पुरुष किसी न किसी रूप में घरेलू हिंसा का शिकार होता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 40% पुरुषों ने कहा है कि उन्हें अपने साथी से मानसिक या शारीरिक हिंसा का सामना करना पड़ा है।
अमेरिका: अमेरिका में 44% पुरुष कभी न कभी घरेलू हिंसा का शिकार होते हैं। पुरुषों के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले भी बढ़ रहे हैं, जिनमें कई मामलों की रिपोर्ट नहीं की जाती है।
फिनलैंड: यहां 31% पुरुषों ने स्वीकार किया है कि वे घरेलू हिंसा का शिकार हुए हैं। फिनलैंड में पुरुषों के लिए मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी भी एक चिंता का विषय है।
ऑस्ट्रेलिया: एक अध्ययन में पाया गया कि 1 में से 6 पुरुषों को अपने जीवन में किसी न किसी प्रकार की घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ा है। पुरुषों के खिलाफ घरेलू हिंसा की रिपोर्टिंग में कमी भी देखी गई है।
ये आंकड़े दर्शाते हैं कि दुनिया के अलग अलग हिस्सों में पुरुषों के खिलाफ अत्याचार की समस्या गंभीर है। समाज में इस मुद्दे पर अधिक जागरूकता और चर्चा की आवश्यकता है ताकि सभी को समान अधिकार और सुरक्षा मिल सके।
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