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आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी और गलत खानपान का असर सिर्फ हमारी सेहत पर ही नहीं पड़ रहा, बल्कि पुरुषों और महिलाओं दोनों की फर्टिलिटी पर भी इसका गहरा असर पड़ रहा है।

यदि पुरुषों की बात करें तो पिछले कुछ सालों में उनमें लो स्पर्म काउंट की समस्या तेजी से बढ़ी है। मेडिकल भाषा में इसे 'ओलिगोस्पर्मिया' कहते हैं। आसान शब्दों में समझें तो जब पुरुषों के वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या बहुत कम हो जाती है, तो निषेचन की प्रक्रिया में दिक्कत आती है और इनफर्टिलिटी यानी बांझपन का खतरा बढ़ जाता है।

अब सवाल ये उठता है कि आखिर हमारी रोजमर्रा की जिंदगी की वो कौन सी आदतें हैं, जो पुरुषों में इस बढ़ती हुई समस्या के लिए जिम्मेदार हैं? कई बार जानकारी की कमी के चलते पुरुष ऐसी गलतियां करते रहते हैं, जिनका उन्हें अंदाजा भी नहीं होता। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं उन आदतों और कारणों के बारे में जो पुरुषों में लो स्पर्म काउंट का कारण बन सकते हैं।

ये गलतियां करने से बचें

पुरुषों में स्पर्म काउंट घटने के पीछे उनकी जीवनशैली से जुड़ी कुछ आदतें भी एक बड़ा कारण हो सकती हैं। क्या आप जानते हैं कि आपकी कुछ आम आदतें आपकी फर्टिलिटी पर कितना बुरा असर डाल सकती हैं?

नींद से समझौता: यदि आप अपनी नींद पूरी नहीं करते हैं, तो यह सिर्फ आपकी सेहत ही नहीं, बल्कि आपके स्पर्म काउंट को भी प्रभावित कर सकता है। शरीर को पर्याप्त आराम न मिलने से हार्मोनल संतुलन बिगड़ सकता है, जिसका सीधा असर प्रजनन क्षमता पर पड़ता है।

धूम्रपान और शराब: सिगरेट और शराब सेहत के लिए तो हानिकारक हैं ही, साथ ही ये आपके स्पर्म की क्वालिटी और क्वांटिटी दोनों को कम कर सकते हैं। स्मोकिंग से स्पर्म की गतिशीलता कम हो जाती है, वहीं ज्यादा शराब पीने से टेस्टोस्टेरोन का स्तर गिर सकता है।

तनाव का बोलबाला: आजकल की तनावपूर्ण जिंदगी में स्ट्रेस एक आम बात हो गई है, मगर लंबे समय तक तनाव में रहने से आपके हार्मोन प्रभावित हो सकते हैं, जिससे स्पर्म प्रोडक्शन में कमी आ सकती है।

शारीरिक निष्क्रियता: यदि आपकी दिनचर्या में कोई भी फिजिकल एक्टिविटी शामिल नहीं है, तो यह भी आपके स्पर्म काउंट को नेगेटिव तरीके से प्रभावित कर सकता है। नियमित व्यायाम ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाता है, जो प्रजनन अंगों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।

बढ़ती उम्र: उम्र बढ़ने के साथ शरीर में कई बदलाव आते हैं और पुरुषों में स्पर्म की मात्रा में कमी आना भी एक स्वाभाविक प्रक्रिया हो सकती है।

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