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Up Kiran, Digital Desk: आजकल हम सब जानते हैं कि वायु प्रदूषण हमारे लिए कितना ख़तरनाक है। यह सिर्फ़ धुएँ या धूल का गुबार नहीं, बल्कि हज़ारों छोटे-छोटे ज़हरीले कणों का मिश्रण होता है। लेकिन अब एक नई रिसर्च ने इस ख़तरे को और गहरा बता दिया है, खासकर अस्थमा के मरीज़ों के लिए। शोधकर्ताओं का कहना है कि हवा में मौजूद कुछ ख़ास तरह की 'धातुएँ' और 'सल्फेट' मिलकर अस्थमा के मरीज़ों, ख़ासकर बच्चों के लिए बहुत जानलेवा साबित हो सकते हैं।

क्या है यह नया खुलासा:वैज्ञानिकों ने बताया है कि वायु प्रदूषण सिर्फ़ PM2.5 (हवा में छोटे कण) तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ताँबा, ज़िकं, सीसा और आर्सेनिक जैसी कई धातुओं और सल्फेट जैसे तत्वों का एक खतरनाक मिश्रण होता है। अब शोध में यह बात सामने आई है कि जब ये धातुएँ और सल्फेट मिलकर हमारी साँस में जाते हैं, तो अस्थमा को और ज़्यादा बदतर बना सकते हैं। बच्चों में तो ये गंभीर अस्थमा के दौरे का कारण भी बन सकते हैं।

एक बड़े शोध में, जिसमें चीन और उत्तरी अमेरिका दोनों जगह से आंकड़े लिए गए, इस बात को मज़बूती से साबित किया गया है। यह दिखाता है कि इन ज़हरीले कणों के मिश्रण में रहने वाले बच्चों को अस्थमा का गंभीर दौरा पड़ने का ख़तरा बहुत ज़्यादा होता है।

तो इसका क्या मतलब है:इसका मतलब है कि हमें सिर्फ़ कुल प्रदूषण पर नहीं, बल्कि हवा में मौजूद इन ख़ास ज़हरीले तत्वों पर भी ध्यान देने की ज़रूरत है। सरकार और नीति निर्माताओं को यह समझना होगा कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सिर्फ़ PM2.5 घटाना काफ़ी नहीं है, बल्कि हमें इन धातु और सल्फेट जैसे तत्वों पर भी लगाम लगानी होगी।

हम सबके लिए यह चिंता की बात है, ख़ासकर उन घरों के लिए जहाँ बच्चे अस्थमा से पीड़ित हैं। अब हवा सिर्फ़ दिखती हुई प्रदूषित नहीं है, बल्कि उसके अदृश्य दुश्मन आपकी और आपके बच्चों की साँसों को दिन-ब-दिन कमज़ोर कर रहे हैं। अपनी और अपने परिवार की सेहत के लिए हमें वायु प्रदूषण से जुड़ी इस नई जानकारी को गंभीरता से लेना होगा।

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