Up Kiran, Digital Desk: जब बच्चे स्कूल के बस्ते और खिलौनों का सपना देखते हैं, उस उम्र में कुछ मासूमों को काम के बोझ तले दबा दिया जाता है। ऐसा ही एक दिल दहला देने वाला मामला आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में सामने आया है, जहां 'ऑपरेशन मुस्कान-X' के तहत 5 बच्चों को मानव तस्करों के चंगुल से आजाद कराया गया। ये बच्चे बिहार और पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं, जिन्हें बहला-फुसलाकर मजदूरी के दलदल में धकेला जा रहा था।
जिला बाल संरक्षण इकाई, सरकारी रेलवे पुलिस (GRP), रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और चाइल्डलाइन के अधिकारियों ने मिलकर यह संयुक्त अभियान चलाया। अधिकारियों को खुफिया जानकारी मिली थी कि कुछ बच्चों को काम कराने के लिए शहर में लाया जा रहा है।
रेलवे स्टेशन पर चलाया गया अभियान
इस सूचना पर कार्रवाई करते हुए, टीम ने विशाखापट्टनम रेलवे स्टेशन पर जाल बिछाया। जांच के दौरान, अधिकारियों को 5 बच्चे संदिग्ध परिस्थितियों में मिले। जब उनसे पूछताछ की गई, तो उन्होंने अपनी दर्दनाक कहानी बयां की। बच्चों ने बताया कि उन्हें उनके घर से यह कहकर लाया गया था कि उन्हें अच्छी नौकरी और पैसा मिलेगा, लेकिन यहां उन्हें खतरनाक कामों में लगाया जा रहा था।
जिला बाल संरक्षण अधिकारी, एल. शीला ने बताया कि बचाए गए सभी बच्चों की उम्र 18 साल से कम है। उन्होंने कहा, "यह बेहद दुखद है कि इतनी कम उम्र में इन बच्चों को उनके परिवारों से दूर कर दिया गया और बाल मजदूरी के लिए मजबूर किया गया।"
अब कहां हैं ये बच्चे?
अधिकारियों ने तुरंत सभी पांचों बच्चों को अपनी सुरक्षा में ले लिया और उन्हें बाल कल्याण समिति (CWC) के सामने पेश किया। CWC के आदेश पर, इन बच्चों को फिलहाल एक रेस्क्यू होम में रखा गया है, जहां उनकी देखभाल की जा रही है और उनकी काउंसलिंग की जाएगी।
अधिकारियों का कहना है कि वे इन बच्चों के माता-पिता का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि उन्हें सुरक्षित उनके घर वापस भेजा जा सके। इसके साथ ही, उन तस्करों और एजेंटों के खिलाफ भी बाल श्रम अधिनियम के तहत सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जो इन मासूमों की जिंदगी बर्बाद करने के जिम्मेदार हैं। यह ऑपरेशन उन गुमनाम नायकों की एक और सफलता है जो चुपचाप इन बच्चों के खोए हुए बचपन को बचाने के लिए काम कर रहे हैं।
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