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Patalkot: पातालकोट मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में स्थित एक कमाल की घाटी है जो पृथ्वी की सतह से 3,000 फीट नीचे है और अंधेरे में बसी है। यहाँ भारिया जनजाति के लोग रहते हैं, जिनकी दिनचर्या सूरज की रोशनी के निकलने के बाद शुरू होती है और जल्दी समाप्त हो जाती है। इस क्षेत्र में लगभग 3,200 लोगों की जनसंख्या है, जिसमें से तीन गांव पूरी तरह से बाहरी दुनिया से कटे हुए हैं।

जानकारी के मुताबिक, सुबह लगभग दस बजे से 11:00 के बीच यहां पर चंद गांव में रोशनी पहुंचती है और शाम तीन बजे रात होने लगती है. कुल मिलाकर यहां दो घंटे ही धूप मिल पाती है या कह सकते हैं कि दोपहर होती है।

डॉ. विकास शर्मा जो भारिया जनजाति के विशेषज्ञ हैं, उन्होंने इस जनजाति की आत्मनिर्भरता की सराहना की है, खासकर कोविड-19 महामारी के दौरान उनकी जीवनशैली के प्रभाव को देखते हुए। जंगल इन लोगों के लिए जीवन का मुख्य स्रोत है, जिसमें वे खाद्य सामग्री और औषधीय जड़ी-बूटियाँ प्राप्त करते हैं।

सरकार ने भारिया जनजाति को आवास अधिकार प्रदान किए हैं, जिससे वे अपनी भूमि, जल और जंगलों की रक्षा कर सकते हैं। यह छिंदवाड़ा को भारत का पहला जिला बनाता है जिसने किसी आदिवासी समुदाय को ऐसे अधिकार दिए हैं।

पातालकोट की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक समृद्धि ने पर्यटन को भी आकर्षित किया है। जिला प्रशासन ने 28 दिसंबर से 2 जनवरी तक एक एडवेंचर फेस्टिवल आयोजित करने की योजना बनाई है, जिसमें रोमांचकारी गतिविधियाँ शामिल होंगी, ताकि पर्यटकों को इस अद्भुत क्षेत्र का अनुभव कराया जा सके। कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने इस क्षेत्र की सुंदरता और पारिस्थितिकी के प्रति सम्मान की आवश्यकता पर जोर दिया है।

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