Up Kiran, Digital Desk: भारत के साथ अपने दोस्तों के संबंध कैसे मजबूत हो रहे हैं, इसकी एक ताज़ा मिसाल है सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग का भारत दौरा। यह कोई सिर्फ़ औपचारिक भेंट नहीं थी, बल्कि दोनों देशों के बीच 60 साल के गहरे और भरोसेमंद संबंधों को अगले स्तर पर ले जाने का एक बड़ा क़दम था। इस दौरे के दौरान, कौशल विकास, फिनटेक, अंतरिक्ष और रक्षा जैसे अहम क्षेत्रों में कई बड़े समझौतों पर दस्तखत किए गए, जो आने वाले समय में दोनों देशों के लिए बहुत मायने रखेंगे।
पुरानी दोस्ती, नई उड़ान: क्यों खास है ये दौरा?
भारत और सिंगापुर की दोस्ती बहुत पुरानी और भरोसेमंद रही है। सिंगापुर हमेशा से भारत के 'एक्ट ईस्ट' नीति (Act East Policy) का एक अहम हिस्सा रहा है, जो बताता है कि भारत दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के साथ अपने संबंध कितने अहम मानता है। अब जब लॉरेंस वोंग ने सिंगापुर के प्रधानमंत्री का पद संभाला है, तो उनका भारत दौरा यह दर्शाता है कि यह दोस्ती और मज़बूत होने वाली है।
क्या-क्या समझौते हुए हैं, जो हमारी और आपकी ज़िंदगी पर असर डालेंगे?कौशल विकास (Skills Development): दोनों देश युवाओं को नए ज़माने के कौशल सिखाने में मिलकर काम करेंगे। इससे हमारे युवा बेहतर रोज़गार पा सकेंगे।
फिनटेक (Fintech): पैसों के लेन-देन को आसान बनाने वाली टेक्नोलॉजी में दोनों देशों की कंपनियां मिलकर काम करेंगी। कल्पना कीजिए कि भारत और सिंगापुर के बीच पैसों का भेजना कितना आसान हो जाएगा!
अंतरिक्ष सहयोग (Space Cooperation): भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम बहुत तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। सिंगापुर के साथ मिलकर हम अंतरिक्ष की दुनिया में नए रिकॉर्ड बना सकते हैं, जो भविष्य में तकनीक और विज्ञान में बड़े बदलाव लाएगा।
रक्षा (Defence): दोनों देशों की सेनाएँ आपस में तालमेल बढ़ाएँगी और अपनी सुरक्षा प्रणालियों को मज़बूत करेंगी। यह न केवल हमारी सीमा, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्थिरता के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।
इसका सीधा असर दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर होगा, लाखों रोज़गार पैदा होंगे और दुनिया भर में भारत और सिंगापुर की ताक़त बढ़ेगी। यह दौरा एक बार फिर बताता है कि जब दो देश एक साथ आते हैं, तो बड़ी से बड़ी चुनौतियों को भी मिलकर हल किया जा सकता है।
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