Indian Law: भारत की न्याय व्यवस्था पेचीदा और कठिन मानी जाती है, जिसमें अटके केसों की संख्या एक बड़ी चुनौती है। हाल ही में 18 दिसंबर तक देशभर में चेक बाउंस के 43 लाख से अधिक मामले अदालतों में पेंडिंग हैं, जिनमें राजस्थान सबसे ऊपर है, जहां 6.4 लाख मामले हैं। इसके बाद महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल का स्थान है।
अदालतों में देरी की वजह क्या
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने संसद में बताया कि चेक बाउंस के मामलों में देरी के कई कारण हैं, जैसे बार-बार स्थगन, सुनवाई के लिए उचित व्यवस्था का अभाव और समय सीमा की कमी।
मामलों के निपटारे की गति कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे भौतिक बुनियादी ढांचा, सहायक स्टाफ, मामलों की जटिलता, साक्ष्यों का प्रकार, और नियमों का अनुपालन।
शीर्ष अदालत की पहल
चेक बाउंस के मामलों में देरी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 10 मार्च, 2021 को एक 10-सदस्यीय समिति का गठन किया। इस समिति ने विशेष नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट कोर्ट बनाने और पांच राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत विशेष अदालतों की स्थापना की सिफारिश की।
पायलट प्रोजेक्ट की स्थिति
19 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने इन पायलट अदालतों का संचालन एक साल तक करने का आदेश दिया। हालांकि, इन अदालतों की प्रगति और निष्कर्षों पर अब तक कोई विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं है। चेक बाउंस के मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए इस प्रोजेक्ट के परिणाम अहम होंगे।
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