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Up Kiran, Digital Desk: आज से ठीक दो साल पहले, एक ऐसा दिन जिसने इज़राइल को अंदर से हिला कर रख दिया। हमास के आतंकियों ने सुबह-सुबह रॉकेट बरसाए और फिर घुस आए।
सैन्य ठिकाने, म्यूजिक फेस्टिवल और गाँवों को निशाना बनाया गया। करीब 1,200 लोगों की मौत, जिनमें महिलाएं, बच्चे और बुज़ुर्ग भी शामिल थे। 251 लोग बंधक बनाए गए। आज भी 48 लोग ग़ायब हैं, जिनमें से लगभग 20 अब भी ज़िंदा माने जा रहे हैं।
ग़म और गुस्से का दिन: परिवारों ने खुद संभाली श्रद्धांजलि की कमान
तेल अवीव में मंगलवार को ग़ैर-सरकारी स्मारक समारोह आयोजित किया जा रहा है। इस बार आयोजन सरकार ने नहीं, बल्कि पीड़ित परिवारों ने किया है — जिससे नेतन्याहू की नीतियों और नेतृत्व पर सवाल उठते हैं। नोवा संगीत समारोह स्थल पर 400 लोगों की हत्या हुई थी। अब यह स्थल एक अस्थायी श्रद्धांजलि केंद्र बन चुका है।
गाज़ा में तबाही, लोग फिर भागने लगे
हमास हमले के जवाब में इज़राइल ने गाज़ा पर भीषण हमला किया। 67,000 से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे गए, जिनमें महिलाएं और बच्चे बड़ी संख्या में हैं। गाज़ा शहर में हालात इतने ख़राब हैं कि भुखमरी, निर्वासन और अकाल जैसे हालात बन गए हैं। संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठन इसे नरसंहार मान रहे हैं।
शांति वार्ता या नई चाल? मिस्र में इज़राइल-हमास की गुप्त बातचीत
मंगलवार को मिस्र के शर्म अल-शेख में इज़राइल और हमास के प्रतिनिधि मिले। बात हो रही है डोनाल्ड ट्रम्प की नई शांति योजना पर। हमास कहता है कि वह बंधकों को तब तक नहीं छोड़ेगा जब तक स्थायी युद्धविराम और इज़राइल की वापसी सुनिश्चित न हो जाए।
नेतन्याहू पर बढ़ा दबाव, देश दो हिस्सों में बंटा
प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कहा है कि युद्ध तब तक जारी रहेगा जब तक सभी बंधक वापस नहीं आ जाते और हमास पूरी तरह से खत्म नहीं हो जाता।
लेकिन देश में हर हफ्ते विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। लोग कह रहे हैं: “जिन्हें बचाया जाना था, वो अब भी ग़ायब हैं।”
ईरान और हिज़्बुल्लाह भी जंग में कूदे, अमेरिका ने दी सैन्य मदद
इस युद्ध की आग सिर्फ गाज़ा और इज़राइल तक सीमित नहीं रही। ईरान और हिज़्बुल्लाह के साथ संघर्ष में अमेरिका भी इज़राइल के साथ शामिल हुआ। ईरान के कई सैन्य ठिकाने, परमाणु वैज्ञानिक और जनरल मारे गए। लेकिन इस सबके बावजूद, बंधक वापस नहीं लाए जा सके।