img

Up Kiran, Digital Desk: चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ती साझेदारी और सहयोग ने भारत के लिए एक नई रणनीतिक चुनौती पैदा कर दी है। इन तीनों देशों के बीच बढ़ते संबंध और एकजुटता के कारण भारत के सामने कई सुरक्षा संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। खासकर जब से बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन हुआ है तब से मोहम्मद यूनुस जैसे नेता भारत विरोधी नारे लगाते हुए चीन और पाकिस्तान के करीब आने का प्रयास कर रहे हैं। इस बीच भारत की सुरक्षा के प्रमुख अधिकारी चीफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने इस नए क्षेत्रीय गठजोड़ को लेकर अपनी चिंता जताई है।

तीन देशों का बढ़ता सहयोग

चीन और पाकिस्तान के बीच पहले से ही गहरा सैन्य और आर्थिक सहयोग देखने को मिल रहा है और अब बांग्लादेश भी इस गठजोड़ का हिस्सा बनने की ओर अग्रसर है। जनरल चौहान के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान ने अपने सैन्य उपकरणों का बड़ा हिस्सा चीन से खरीदा है जो उसकी पूरी सैन्य रणनीति को चीन के साथ गहरे सहयोग की ओर मोड़ता है। चीन अक्सर यह दावा करता है कि उसका पाकिस्तान के साथ सहयोग किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं है लेकिन यह एक छलावा ही प्रतीत होता है। दूसरी ओर बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद वहां की सरकार चीन और पाकिस्तान के साथ अपने रिश्ते को और प्रगाढ़ करने में जुटी है जिससे भारत के लिए नई सुरक्षा चुनौतियां उत्पन्न हो रही हैं।

भारत पर संभावित खतरे

अगर यह तीनों देश एकजुट होकर भारत के खिलाफ कोई सैन्य अभियान शुरू करने का विचार करते हैं तो भारत के लिए यह गंभीर चुनौती बन सकती है। चीन की उत्तरी सीमा से पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा से और बांग्लादेश की पूर्वी सीमा से भारत पर हमला हो सकता है। इस तरह से भारत को तीन अलग-अलग मोर्चों पर एक साथ सुरक्षा की चुनौती का सामना करना पड़ेगा जो न केवल देश की सुरक्षा बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता पर भी असर डाल सकता है। ऐसे में भारत के लिए इन देशों से लगते राज्यों में सुरक्षा प्रबंधन की जिम्मेदारी और बढ़ जाएगी।

भारत की तैयारियां

इस नए खतरे को देखते हुए भारत ने अपनी सैन्य और कूटनीतिक तैयारियों को मज़बूत किया है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद से भारत ने न केवल अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाया है बल्कि कूटनीतिक मोर्चे पर भी अपनी स्थिति मजबूत करने का प्रयास किया है। भारत ने Quad (क्वाड) और BRICS जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी भूमिका को सशक्त किया है ताकि वह वैश्विक स्तर पर भी अपनी रणनीति को मजबूती दे सके।

भारत को तीन मोर्चों पर एक साथ लड़ने की स्थिति से निपटने के लिए अपनी तैयारियों को निरंतर अपडेट करने की आवश्यकता है। सैन्य तैयारियों के साथ-साथ भारत को क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने रिश्तों को और भी सुदृढ़ करने की आवश्यकता होगी। यही नहीं भारत को इन तीन देशों के बढ़ते सहयोग का मुकाबला करने के लिए अपनी कूटनीतिक रणनीतियों पर भी गंभीरता से काम करना होगा ताकि कोई भी आक्रमण होने पर उसे प्रभावी तरीके से निपटा जा सके।

--Advertisement--