Up Kiran, Digital Desk: अभी हाल ही में देश के सामने एक ऐसा आंकड़ा आया है, जो बताता है कि त्योहारों पर सोने के प्रति हमारा प्यार हमें आर्थिक रूप से कितना महंगा पड़ रहा है. एक तरफ जहां देश से सेवाओं का निर्यात शानदार प्रदर्शन कर रहा है, वहीं दिवाली के दौरान सोने की ताबड़तोड़ खरीद ने हमारे व्यापार घाटे (Trade Gap) को रिकॉर्ड तोड़ स्तर पर पहुंचा दिया है. यह बताता है कि अर्थव्यवस्था के लिए अभी कुछ चुनौतियां बाकी हैं.
सोने की 'दीवानगी' और बढ़ता आयात बिल
सोचिए, त्योहारों का मौसम और ऊपर से दिवाली की चमक-दमक! ऐसे में हमारे देश में सोने की मांग बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. इसी मांग को पूरा करने के लिए, अक्टूबर के महीने में सोने का आयात (Gold Imports) पिछले साल के मुकाबले 58 फीसदी बढ़ गया. रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर में भारत ने $14.7 अरब का सोना आयात किया, जो पिछले महीने से लगभग 5 अरब डॉलर ज्यादा था. इस भारी-भरकम सोने के आयात के कारण, देश का व्यापार घाटा यानी आयात और निर्यात के बीच का अंतर रिकॉर्ड $41.7 अरब तक पहुंच गया है. यह दर्शाता है कि जितना पैसा हम विदेशी चीजें खरीदने में खर्च कर रहे हैं, उतना कमा नहीं पा रहे हैं, खासकर दिवाली जैसे त्योहारों के मौसम में जब सोने की खरीदारी ज़ोरों पर होती है.
सेवा क्षेत्र का दमदार प्रदर्शन, निर्यात में इजाफा
लेकिन हर बुरी खबर के साथ एक अच्छी बात भी होती है! भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी राहत की बात यह है कि देश का सेवा क्षेत्र (Services Sector) शानदार प्रदर्शन कर रहा है. अक्टूबर में सेवाओं का निर्यात
38.5अरबरहा,जोहमारेवस्तुओंकेनिर्यात(38.5 अरब रहा, जो हमारे वस्तुओं के निर्यात (38.5अरबरहा,जोहमारेवस्तुओंकेनिर्यात(
34.4 अरब) से 11 फीसदी ज्यादा है. कुछ महीनों की कमजोरी के बाद, सेवा निर्यात ने वापसी की है. सितंबर-अक्टूबर के महीने में सेवाओं का निर्यात औसतन $37.5 अरब रहा, जबकि साल के पहले आठ महीनों में यह $33 अरब था. एचएसबीसी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सेवा व्यापार अधिशेष (Services Trade Surplus) अक्टूबर में $20 अरब के साथ अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है. यह दिखाता है कि हमारी सॉफ्टवेयर, आईटी और अन्य सेवाएँ दुनिया भर में बहुत पसंद की जा रही हैं, और डॉलर कमाने में इनका बहुत बड़ा हाथ है.
आगे क्या? संतुलन बिठाना होगा
एक तरफ सेवा क्षेत्र अर्थव्यवस्था को सहारा दे रहा है, तो दूसरी तरफ सोने का बढ़ता आयात हमें चिंता में डाल रहा है. यह संतुलन बनाना बहुत जरूरी है. हमें ऐसी नीतियों पर ध्यान देना होगा जिससे हमारे निर्यात को बढ़ावा मिले और आयात, खासकर गैर-जरूरी चीजों का आयात, थोड़ा कम हो सके.
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