_2095986044.png)
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार (स्थानीय समयानुसार) अपने करीबी राजनीतिक सहयोगी सर्जियो गोर को भारत में अमेरिका का नया राजदूत और दक्षिण एवं मध्य एशियाई मामलों के लिए विशेष दूत नियुक्त करने की घोषणा की। फिलहाल गोर व्हाइट हाउस के राष्ट्रपति कार्मिक कार्यालय (Presidential Personnel Office) के निदेशक हैं और उनकी नियुक्ति की आधिकारिक पुष्टि तक इस पद पर बने रहेंगे।
ट्रंप ने दी जानकारी
राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर लिखते हुए कहा कि गोर और उनकी टीम ने रिकॉर्ड समय में संघीय सरकार के विभिन्न विभागों में लगभग चार हजार "अमेरिका फर्स्ट" समर्थकों की नियुक्ति सुनिश्चित की। उन्होंने दावा किया कि उनके नेतृत्व में सरकारी विभाग "95 प्रतिशत से अधिक" पूरी तरह भरे गए हैं।
ट्रंप ने गोर को अपना "विश्वस्त सहयोगी और घनिष्ठ मित्र" बताते हुए कहा कि उन्होंने उनके ऐतिहासिक चुनाव अभियान, पुस्तकों और नीतियों को जमीन पर उतारने में अहम भूमिका निभाई है। राष्ट्रपति ने टिप्पणी की, “विश्व के सबसे अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र में अमेरिका के हितों की रक्षा और हमारे एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए मुझे ऐसे व्यक्ति की ज़रूरत है जिस पर मैं पूरी तरह भरोसा कर सकूँ। सर्जियो उसी श्रेणी के साथी हैं।”
सर्जियो गोर: प्रवासी से ट्रंप के विश्वासपात्र तक
30 नवंबर 1986 को ताशकंद (उज़्बेकिस्तान) में जन्मे सर्जियो गोर का मूल उपनाम "गोरोखोव्स्की" था। 1999 में उनका परिवार अमेरिका गया और लॉस एंजिल्स में बस गया। उनकी प्रारंभिक शिक्षा वहीं हुई, बाद में उन्होंने जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय से पढ़ाई पूरी की।
गोर की पारिवारिक पृष्ठभूमि भी दिलचस्प रही है। उनकी मां इजरायली मूल की हैं, जबकि उनके पिता यूरी गोरोखोव्स्की सोवियत सेना के लिए विमानन इंजीनियर रहे।
गोर का राजनीतिक करियर 2008 से शुरू माना जाता है जब उन्होंने सीनेटर जॉन मैक्केन के राष्ट्रपति चुनावी अभियान में भागीदारी की। इसके बाद उन्होंने रिपब्लिकन नेशनल कमेटी और विभिन्न राजनीतिक संगठनों के साथ काम किया। 2013 में वे RANDPAC के निदेशक बने।
2016 के बाद उनका जुड़ाव डोनाल्ड ट्रंप के साथ गहरा हुआ और "मेक अमेरिका ग्रेट अगेन" (MAGA) अभियान में गोर ने केंद्रीय भूमिका निभाई। 2020 से वे ट्रंप की कोर स्ट्रैटेजिक टीम का हिस्सा रहे और 2024 में सत्ता वापसी के बाद राष्ट्रपति कार्मिक कार्यालय का नेतृत्व संभाला।
भारत के साथ अनुभव सीमित, लेकिन विश्वास अटूट
हालांकि विदेश मामलों, खासकर भारत से संबंधित अनुभव गोर के पास अपेक्षाकृत सीमित है, लेकिन उन्हें ट्रंप प्रशासन का "आंख और कान" माना जाता है। विश्लेषकों का मानना है कि गोर की नियुक्ति भारत-अमेरिका संबंधों को रणनीतिक दृष्टि से नई दिशा दे सकती है।
--Advertisement--