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Up Kiran, Digital Desk: पिछले साल दिल्ली के मुखर्जी नगर में एक बेसमेंट लाइब्रेरी में हुए दर्दनाक हादसे को शायद ही कोई भूला होगा, जिसमें दो नौजवानों की दम घुटने से मौत हो गई थी. अब इस मामले में एक बड़ी कार्रवाई हुई है. दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) वीके सक्सेना ने दिल्ली फायर सर्विस (DFS) के दो बड़े अधिकारियों के खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई करने की मंजूरी दे दी है. इन अधिकारियों पर अपनी ड्यूटी में गंभीर लापरवाही बरतने का आरोप है.

यह मामला उस 'मौत के कुएं' जैसे बेसमेंट का है, जो बिना किसी फायर सेफ्टी के चल रहा था और इन अधिकारियों की कथित अनदेखी ने दो परिवारों के चिराग हमेशा के लिए बुझा दिए.

क्या था वो खौफनाक हादसा?

जून 2023 में मुखर्जी नगर की एक चार मंजिला इमारत के बेसमेंट में चल रही एक लाइब्रेरी में आग लग गई थी. आग बिल्डिंग के बिजली मीटर पैनल में लगी थी, लेकिन उसका जहरीला धुआं पूरी बेसमेंट लाइब्रेरी में भर गया. उस वक्त लाइब्रेरी में मौजूद 21 साल के हितेश कुमार और 22 साल के भूपेंद्र सिंह धुएं में फंस गए. उन्हें बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं मिला और दम घुटने से दोनों की दर्दनाक मौत हो गई.

क्यों नप रहे हैं फायर सर्विस के अधिकारी?

जांच में यह बात सामने आई कि जिस बिल्डिंग में यह लाइब्रेरी चल रही थी, वह अवैध रूप से चल रही थी और उसके पास कोई फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट (FSC) नहीं था. अब LG ने जिन दो अधिकारियों पर कार्रवाई की मंजूरी दी है, वे हैं- तत्कालीन सहायक प्रभागीय अधिकारी (ADO) सुरेंद्र कुमार और स्टेशन अधिकारी (SO) रविंदर कुमार.

इन पर क्या आरोप हैं?

जानबूझकर की अनदेखी: इन अधिकारियों की यह ज़िम्मेदारी थी कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनके इलाके में चलने वाली ऐसी इमारतों में आग से बचाव के पुख्ता इंतजाम हैं या नहीं.

फर्जीवाड़े में साथ देना: आरोप है कि इन अधिकारियों ने यह जानने के बावजूद कि बिल्डिंग में फायर सेफ्टी के नियम-कानूनों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, कोई कार्रवाई नहीं की. उन्होंने इमारत को बिना फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट के चलने दिया.

सतर्कता निदेशालय (DoV) की जांच रिपोर्ट के आधार पर एलजी ने इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ सीसीएस (सीसीए) नियम, 1965 के तहत 'बड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई' शुरू करने का आदेश दिया है. आसान भाषा में कहें तो अब इन अधिकारियों की नौकरी पर भी बन आ सकती है.

यह कार्रवाई उन सभी अधिकारियों के लिए एक कड़ा संदेश है, जिनकी लापरवाही की कीमत आम लोगों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है. उम्मीद है कि इस एक्शन से भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने में मदद मिलेगी और किसी और हितेश या भूपेंद्र को इस तरह अपनी जान नहीं गंवानी पड़ेगी.