
Up Kiran, Digital Desk: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपनी व्यापार-केंद्रित और आक्रामक विदेश नीति का संकेत दिया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि वह दोबारा सत्ता में आते हैं, तो उन सभी देशों पर 10% का अतिरिक्त टैरिफ (शुल्क) लगाया जाएगा जो BRICS देशों के साथ मिलकर "अमेरिकी विरोधी" नीतियों को अपनाते हैं। ट्रंप ने साफ कर दिया है कि इसमें कोई अपवाद नहीं होगा।
यह बयान BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) समूह के बढ़ते वैश्विक प्रभाव और उसके विस्तार को लेकर अमेरिका की चिंता को दर्शाता है। ट्रंप का मानना है कि BRICS जैसे संगठन अमेरिकी हितों के खिलाफ काम कर सकते हैं, खासकर जब वे डॉलर पर निर्भरता कम करने या वैकल्पिक आर्थिक प्रणालियों को बढ़ावा देने की बात करते हैं।
ट्रंप ने कहा कि उनका लक्ष्य अमेरिका के आर्थिक हितों की रक्षा करना और उन देशों को दंडित करना है जो अमेरिकी व्यापारिक नीतियों को चुनौती देते हैं या उसके भू-राजनीतिक विरोधियों के साथ गठबंधन करते हैं। यह धमकी ऐसे समय में आई है जब BRICS समूह कई और देशों को जोड़ने की प्रक्रिया में है और वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में अपनी भूमिका मजबूत कर रहा है।
इस नीति का सीधा असर भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका जैसे BRICS के सदस्य देशों पर भी पड़ सकता है, जिनके अमेरिका के साथ महत्वपूर्ण व्यापारिक संबंध हैं। ट्रंप का 'नो एक्सेप्शन' का बयान दर्शाता है कि वह अपनी नीतियों को लागू करने में दृढ़ रहेंगे।
यह बयान वैश्विक व्यापार, भू-राजनीतिक संबंधों और अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत हो सकता है, खासकर अगर ट्रंप 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीत जाते हैं। यह BRICS देशों के लिए भी एक चुनौती पेश करता है कि वे अपनी नीतियों को कैसे संतुलित करें ताकि अमेरिकी बाजार तक उनकी पहुंच प्रभावित न हो।
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