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Up Kiran, Digital Desk: हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट ने वैश्विक सुरक्षा चिंताओं को फिर से हवा दे दी है। अमेरिका ने अपनी मिसाइल निर्माण क्षमता को तेजी से बढ़ाने का फैसला लिया है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह कदम चीन के साथ संभावित भविष्य के टकराव को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।

मिसाइल फैक्ट्रियों में मची हलचल, उत्पादन दर में भारी इजाफा

सूत्रों की मानें तो अमेरिकी रक्षा विभाग, यानी पेंटागन, अब कुछ खास मिसाइलों की मैन्युफैक्चरिंग को दोगुना या उससे भी ज्यादा करने पर जोर दे रहा है। इसके लिए हथियार बनाने वाली कंपनियों से बातचीत तेज़ हो चुकी है। यह बदलाव केवल रणनीति नहीं, बल्कि अमेरिका की सैन्य नीतियों में बड़े बदलाव का संकेत माना जा रहा है।

साप्ताहिक मीटिंग्स और टॉप लेवल निगरानी – गंभीर है अमेरिका

अंदरूनी जानकारी रखने वाले कुछ अधिकारियों के अनुसार, अमेरिका के उप रक्षा सचिव स्टीव फीनबर्ग खुद इस पूरे अभियान की निगरानी कर रहे हैं। वे हर हफ्ते हथियार कंपनियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर रहे हैं ताकि उत्पादन में कोई रुकावट न आए। हालांकि, इस पर अमेरिकी सरकार या पेंटागन की तरफ से कोई आधिकारिक बयान अभी तक नहीं आया है।

क्या पहले से था संकेत? यूक्रेन को हथियार देने में भी आई थी रुकावट

जुलाई महीने में भी अमेरिका की रक्षा रणनीति को लेकर सवाल उठे थे, जब यूक्रेन को भेजे जाने वाले कुछ हथियारों की सप्लाई पर रोक लगाई गई थी। वाइट हाउस की प्रवक्ता एना केली ने तब कहा था कि अमेरिका अपनी वैश्विक रक्षा जिम्मेदारियों की समीक्षा कर रहा है और इसके तहत अपने देश के हितों को पहले रखा जा रहा है।

हथियारों की कमी से बढ़ी चिंता, इन हथियारों की है सबसे ज्यादा डिमांड

रिपोर्ट्स से साफ हुआ है कि अमेरिका के पास कई अहम हथियारों की संख्या घट चुकी है। इसमें एंटी-एयर मिसाइलें, लॉन्ग रेंज मिसाइलें, और 155 एमएम आर्टिलरी शेल्स शामिल हैं। यह स्थिति न केवल अमेरिका के लिए बल्कि उसके सहयोगी देशों के लिए भी चिंता का कारण है।