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Up Kiran, Digital Desk: यूक्रेन के लाखों नागरिक जो तीन साल से बमबारी और बेघरगी की जिंदगी काट रहे हैं उनके लिए अमेरिका की ताजा शांति योजना एक झटका साबित हो रही है। अक्टूबर 2025 में वाशिंगटन में ट्रंप और जेलेंस्की की बैठक के बाद सामने आई ये 28-सूत्री स्कीम असल में रूस की पुरानी मांगों का आईना लग रही है। रिपोर्ट्स कहती हैं कि ये दस्तावेज मॉस्को ने ही शेयर किया था। यूक्रेन के लोग पूछ रहे हैं कि क्या उनका संघर्ष अब विदेशी दबाव का शिकार हो जाएगा?

ट्रंप की योजना में रूस के फायदे क्यों इतने साफ?

रॉयटर्स की खबरों से साफ है कि ट्रंप टीम ने अपनी शांति स्कीम के लिए रूसी कागजात का सहारा लिया। विदेश मंत्री मार्को रुबियो समेत कुछ अमेरिकी अफसरों ने इसे चेक किया लेकिन सब जानते थे कि यूक्रेन इसे ठुकरा देगा। इसमें वही बातें हैं जो रूस ने बातचीत में रखी थीं – जैसे पूर्वी इलाकों का बड़ा हिस्सा रूस को सौंपना। ये 'गैर-पत्र' स्टाइल में लिखा है लेकिन यूक्रेन के लिए ये रियायतें नामुमकिन हैं। रुबियो ने तो रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से भी फोन पर इस पर गपशप की।

ट्रंप का अगला कदम: मॉस्को-कीव के बीच नया ब्रिज

ट्रंप ने खुद ट्वीट किया कि शांति प्लान को पक्का करने के लिए उनके स्पेशल दूत स्टीव विटकॉफ को पुतिन से मिलने भेजा जा रहा है। उसी वक्त आर्मी सेक्रेटरी डैन ड्रिस्कॉल यूक्रेन जाकर जेलेंस्की से बात करेंगे। लेकिन सवाल ये कि ये ब्रिज यूक्रेन को मजबूत करेगा या रूस को खुश?

अमेरिका के अंदर ही सवालों का तूफान

एक्सियोस की रिपोर्ट के बाद व्हाइट हाउस में हड़कंप मच गया। कई सांसद और अफसर इसे रूसी वॉश लिस्ट बता रहे हैं न कि सच्ची कोशिश। फिर भी अमेरिका यूक्रेन पर दबाव बना रहा है – हस्ताक्षर न किए तो मिलिट्री हेल्प बंद। ये प्लान पिछले महीने मियामी में ट्रंप के दामाद जेरेड कुशनर विटकॉफ और रूस के किरिल दिमित्रिएव की मीटिंग से जन्मा। व्हाइट हाउस में मुट्ठी भर लोगों को ही खबर थी।

यूक्रेन के लोगों के लिए क्या मतलब? 

ये सब देख यूक्रेन के सिपाही किसान और मां-बहनें चिंतित हैं। क्या उनका खोया हुआ घर-गांव हमेशा के लिए चला जाएगा? अमेरिका की ये चाल रूस को ताकत देगी या शांति लाएगी – जवाब तो वक्त ही देगा। लेकिन फिलहाल ये योजना यूक्रेन को मजबूर करने जैसी लग रही है।