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Up Kiran, Digital Desk: उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। राज्य भर में सैकड़ों डॉक्टर बिना वैध पंजीकरण के मरीजों का इलाज कर रहे हैं जिससे न सिर्फ चिकित्सा मानकों का उल्लंघन हो रहा है बल्कि मरीजों की जान को भी खतरा उत्पन्न हो रहा है। यह स्थिति तब सामने आई है जब उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल ने स्वयं इस बात की पुष्टि की है कि हजारों डॉक्टरों का लाइसेंस नवीनीकरण नहीं हुआ है।

बिना वैध पंजीकरण कर रहे इलाज

जानकारी के मुताबिक राज्य में करीब 2500 डॉक्टर ऐसे हैं जिनके पंजीकरण की अवधि समाप्त हो चुकी है फिर भी वे अस्पतालों और निजी क्लीनिकों में चिकित्सा कार्य कर रहे हैं। नियमों के अनुसार किसी भी डॉक्टर को उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल से वैध रजिस्ट्रेशन के बिना चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने की अनुमति नहीं है। यह स्थिति न केवल चिकित्सा अधिनियम का उल्लंघन है बल्कि गंभीर नैतिक चिंता भी पैदा करती है।

नोटिस के बावजूद नहीं लिया संज्ञान

मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार डॉ. सुधीर पांडेय ने पुष्टि की कि इन डॉक्टरों को कई बार नोटिस भेजे जा चुके हैं लेकिन उनमें से अधिकांश ने पंजीकरण का नवीनीकरण नहीं कराया है। काउंसिल ने ऐसे डॉक्टरों की सूची तैयार कर संबंधित विभागों को भी जानकारी दी है परंतु अब तक बड़ी कार्रवाई नहीं हो सकी है।

कड़ी निगरानी की कमी और कानून का उल्लंघन

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बिना वैध रजिस्ट्रेशन के प्रैक्टिस करना क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट का सीधा उल्लंघन है। इतना ही नहीं इन डॉक्टरों द्वारा संचालित अस्पताल या क्लीनिक भी तकनीकी रूप से अवैध माने जाएंगे। दुर्भाग्यवश सीएमओ स्तर पर निगरानी और छापेमारी की प्रक्रिया धीमी है जिससे स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आ पा रहा है।

शहरी इलाकों में ज्यादा मामले

जानकार सूत्रों के अनुसार अधिकांश अनरजिस्टर्ड डॉक्टर देहरादून हल्द्वानी और हरिद्वार जैसे प्रमुख शहरों में निजी क्लीनिक चला रहे हैं। यही वे क्षेत्र हैं जहां राज्य के अधिकांश निजी अस्पताल स्थित हैं और आम जनता चिकित्सा सुविधाओं के लिए इन्हीं पर निर्भर रहती है। ऐसे में इस लापरवाही का दायरा भी काफी बड़ा हो गया है।

कानूनी कार्रवाई में अड़चन

उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल के पास फिलहाल केवल नोटिस जारी करने का अधिकार है। किसी डॉक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए छापेमारी आवश्यक है जो केवल मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) के स्तर से की जा सकती है। लेकिन इस दिशा में ठोस प्रयास न होने के कारण ये डॉक्टर बिना किसी डर के प्रैक्टिस जारी रखे हुए हैं।

क्या है समाधान

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करनी है तो ऐसी स्थितियों पर सख्त कार्रवाई जरूरी है। सीएमओ स्तर पर निरीक्षण और छापेमारी के माध्यम से बिना वैध रजिस्ट्रेशन वाले डॉक्टरों पर लगाम कसी जा सकती है। साथ ही आम जनता को भी जागरूक किया जाना चाहिए कि वे किसी डॉक्टर से इलाज कराते समय उसका रजिस्ट्रेशन नंबर अवश्य जांचें।

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