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Up Kiran, Digital Desk: संगरूराम, जो कुचमुच्छ गाँव के निवासी थे, ने अपनी पहली पत्नी के निधन के बाद सालों तक अकेले जीवन बिताया। खेती से गुज़ारा करने वाले इस बुज़ुर्ग ने बिना संतान के जीवन बिताया और आखिरकार, परिवार के विरोध के बावजूद, उन्होंने दोबारा शादी करने का साहसी फैसला लिया।
29 सितंबर को उन्होंने जलालपुर की रहने वाली 35 वर्षीय मनभावती से विवाह किया। शादी पहले कोर्ट में रजिस्टर्ड की गई, फिर मंदिर में पारंपरिक विधियों के साथ संपन्न हुई। गाँववालों के अनुसार, यह एक सादा लेकिन भावनात्मक समारोह था।
साथी की चाहत में की थी दोबारा शादी
रिश्तेदारों और गाँव वालों ने बताया कि संगरूराम अब अकेले नहीं रहना चाहते थे। मनभावती ने खुद बताया कि उन्होंने आपस में शादी की पहली रात लंबी बातचीत में बिताई। संगरूराम ने वादा किया था कि वह बच्चों की देखभाल करेंगे और मनभावती घर की ज़िम्मेदारी संभालेंगी।
सुबह होते ही मौत ने दे दी दस्तक
शादी के अगले ही दिन सुबह, संगरूराम की तबीयत अचानक बिगड़ गई। आनन-फानन में उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। यह खबर सुनकर गाँव और परिवार दोनों ही स्तब्ध रह गए। किसी ने भी नहीं सोचा था कि शादी की खुशियाँ इतने कम समय में मातम में बदल जाएंगी।
मौत पर उठ रहे सवाल, पोस्टमार्टम की मांग
कुछ ग्रामीणों का मानना है कि यह उम्र से जुड़ी सामान्य मौत थी, लेकिन कई लोगों को इसमें कुछ गड़बड़ नज़र आ रही है। दिल्ली से पहुंचे उनके भतीजों और अन्य रिश्तेदारों ने अंतिम संस्कार रोक दिया है। उन्होंने मांग की है कि जब तक वे सब न पहुंचें और जांच न हो, तब तक कोई क्रिया न की जाए।